India News (इंडिया न्यूज),Mayur Vihar School: दिल्ली के मयूर विहार फेज-1 स्थित पंचशील शिक्षण संस्थान को नगर निगम ने ध्वस्त कर दिया। यह स्कूल वंचित बच्चों को शिक्षा प्रदान करता था। स्कूल के गिरने के बाद भी शिक्षक और छात्र हार नहीं माने और अब खुले में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। संस्था के प्रमुख सत्येंद्र पाल शाक्य ने 2015 में प्रवासी बच्चों को शिक्षित करने का मिशन शुरू किया था।
बुलडोजर ने छीन ली छत, पर हौसला बरकरार
5 जुलाई को, जब दुनिया अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मना रही थी, उसी दिन नगर निगम ने पंचशील शिक्षण संस्थान को ढहा दिया। शिक्षिका कविता ने उस दिन की घटना को याद करते हुए बताया, “मैं बच्चों को गणित पढ़ा रही थी, तभी बुलडोजर हमारे स्कूल को गिराने के लिए आया। हम मलबे से कुछ बेंचों को बचाने में कामयाब रहे, लेकिन अब हमें खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करनी पड़ रही है।”
मुश्किल हालात में जारी है शिक्षा
यह स्कूल मुख्य रूप से मयूर विहार फेज-1 के पॉकेट-4 में स्थित है और दिल्ली सरकार और एमसीडी स्कूलों के बच्चों को शिक्षा प्रदान करता है। बच्चे नियमित स्कूल के समय से पहले और बाद में यहां क्लास लेते हैं। मानसून के मौसम में बिना छत के पढ़ाई करना बच्चों और शिक्षकों दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है।
बच्चों के सपने जिंदा
कक्षा पांच की छात्रा हिमांशी कहती हैं, “मैंने अपने शिक्षकों के साहस और दृढ़ता को देखा है, और अब मैं भी एक शिक्षक बनना चाहती हूं।” कक्षा चार के प्रियंदर का सपना क्रिकेटर बनने का है, वहीं करीना, जिसका घर भी ध्वस्त हो गया, डॉक्टर बनने का सपना देख रही है।
शिक्षा के प्रति अडिग संकल्प
सत्येंद्र पाल शाक्य, जो 2015 से वंचित बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं, कहते हैं, “हमने धीरे-धीरे अपने क्लासरूम बनाए थे, जिसमें कई दिल्लीवासियों का सहयोग मिला था। लेकिन एक दशक की मेहनत के बाद हमें फिर से शुरुआत करनी पड़ रही है। यह सवाल उठता है कि क्या यह वास्तव में ‘विकसित भारत’ का सार है?” बुलडोजर के बावजूद, बच्चों और शिक्षकों की उम्मीदें और संकल्प अडिग हैं। वे हर हाल में अपने सपनों को पूरा करने के लिए जुटे हुए हैं।
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