India News Delhi (इंडिया न्यूज़), NDLS Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार को हुई भगदड़ में कई लोग घायल हुए और 18 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना ने कई परिवारों को अपनों से हाथ धोने के गहरे जख्म दिए हैं। इनमें से एक था बेबी का परिवार, जिसका सपना था कि उनकी सबसे छोटी बेटी की शादी धूमधाम से हो, लेकिन अब वह सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा। बेबी, जो पांच बहनों में सबसे छोटी थी, अपने रिश्तेदारों के साथ प्रयागराज जा रही थी जब यह हादसा हुआ और उसकी मौत हो गई।
शव के साथ घर लौटे परिजन
बेबी की मौत के बाद उसके पिता प्रभु शाह और बड़ी बेटी व दामाद एंबुलेंस से शव के साथ बिहार स्थित अपने पैतृक गांव मोतिहारी पहुंचे। रविवार को सुबह 5:30 बजे दिल्ली से एंबुलेंस द्वारा यात्रा शुरू करने के बाद, वे देर रात 2:00 बजे अपने गांव पहुंचे। पिता प्रभु शाह ने बताया कि पोस्टमॉर्टम के बाद अस्पताल ने शव देने के बाद एंबुलेंस उपलब्ध करवाई, लेकिन एंबुलेंस वालों ने 28,400 रुपये किराए के रूप में लिए। उन्होंने बताया कि अस्पताल ने कहा था कि ज्यादा पैसा नहीं लगेगा, लेकिन बाद में भारी राशि ली गई। सोमवार को बेबी का अंतिम संस्कार किया गया, और परिवार ने अपनी छोटी बेटी को अंतिम विदाई दी।
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बेबी की मौत का गहरा शोक
बेबी, जो बिजवासन में प्राइवेट नौकरी करती थी, एक खुशहाल परिवार की सदस्य थी। उसके चार बड़ी बहनें थीं, जिनकी शादी हो चुकी थी, और बेबी ही अपने माता-पिता की उम्मीदों का केंद्र थी। हादसे के दिन वह अपने दो रिश्तेदारों के साथ प्रयागराज जा रही थी, लेकिन स्टेशन पर मची भगदड़ में वह दब गई और उसकी मौत हो गई। इसके बाद बेबी का शव जब गांव पहुंचा तो पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। गांव के लोग इस दर्दनाक घटना से गमगीन हो गए और परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।
पोस्टमॉर्टम पर उठे सवाल
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई इस भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। घायलों को एलएनजेपी और लेडी हार्डिंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां देर रात सभी शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया। इस पर कई सवाल उठ रहे हैं क्योंकि एक्सपर्ट के अनुसार, पोस्टमॉर्टम दिन में करना चाहिए। हालांकि, अधिकारियों ने इसे गंभीर मामला बताते हुए जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति से रात में ही पोस्टमॉर्टम करवा लिया। इस प्रक्रिया में चार डॉक्टरों की टीम ने तेजी से काम किया और 18 शवों का पोस्टमॉर्टम किया।
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सिर से लेकर पैर तक की पूरी जांच
पोस्टमॉर्टम विशेषज्ञों के अनुसार, रात के समय शवों का पोस्टमॉर्टम करने से कई आंतरिक चोटों के रंग सही से नहीं दिख पाते, जिससे जांच में सही निष्कर्ष नहीं निकल सकते। पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया में आधे से एक घंटे का वक्त लगता है, जिसमें शव की सिर से लेकर पैर तक की पूरी जांच की जाती है। आंतरिक अंगों की जांच के लिए उन्हें बाहर भी निकाला जाता है, फिर उन्हें वापस उनकी जगह पर रखकर शव को सिल दिया जाता है।
हादसे में रेल प्रशासन पर आरोप
इस दर्दनाक हादसे के बाद सोशल मीडिया पर रेल प्रशासन के खिलाफ लापरवाही के आरोप सामने आए। कई लोगों ने सवाल उठाया कि किस तरह इतनी जल्दी 18 शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया। परिजनों और स्थानीय लोगों ने रेल प्रशासन से न्याय की मांग की और लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। हादसे के बाद परिजनों को जल्दी शव सौंपने के लिए प्रशासन ने यह कदम उठाया था, ताकि वे शवों का अंतिम संस्कार दिन में कर सकें।
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