India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi: दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी की सत्ता में वापसी के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए कई नामों पर चर्चा हो रही है। खासतौर पर राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा चल रही है कि इस बार बीजेपी दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर पूर्वांचल से किसी नेता को बिठा सकती है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या बीजेपी दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव लाने की योजना बना रही है और पूर्वांचल के वोट बैंक को साधने के लिए ये कदम उठाया जा सकता है?

पूर्वांचल के नेताओं को ध्यान में रखते हुए बीजेपी का प्लान

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर बीजेपी दिल्ली में पूर्वांचल के किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाती है, तो इसका दोहरा फायदा हो सकता है। दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचली समुदाय को संतुष्ट करने के साथ-साथ बिहार और उत्तर प्रदेश के चुनावों में भी इसका असर पड़ सकता है। बिहार के नेताओं का दिल्ली से गहरा नाता है और ऐसे में बीजेपी के इस कदम से बिहारियों को भी अपना प्रभाव दिखाने की कोशिश की जा रही है।

विकासपुरी विधानसभा क्षेत्र और बदलाव की उम्मीद

दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवारों ने कई क्षेत्रों में जीत हासिल की है। इनमें बक्सर के डॉ. पंकज कुमार सिंह की जीत खास है, जिन्होंने विकासपुरी विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की। ऐसे में दिल्ली के इस इलाके में उम्मीद जताई जा रही है कि बीजेपी का ध्यान यहां के विकास पर केंद्रित होगा। आप पार्टी ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि सत्ता में वापसी के बाद दिल्ली के लोग लंबे पावर कट से परेशान हो रहे हैं। इस पर बीजेपी को काम करने का दबाव है, खासकर दिल्ली के नागरिकों के बुनियादी मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है।

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मुख्य सचिव का 100 दिन का रोडमैप

दिल्ली के मुख्य सचिव ने सभी मिनिस्टरों को 100 दिन का रोडमैप तैयार करने का निर्देश दिया है, जिससे यह साबित हो सके कि बीजेपी ने सत्ता में वापसी के बाद अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित की हैं और आगामी दिनों में दिल्ली के विकास में तेजी से बदलाव आएगा। पूर्वांचलियों के लिए यमुन नदी की सफाई का मुद्दा इस बार अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। बीजेपी इस मुद्दे को उठाकर दिल्ली में पूर्वांचलियों का विश्वास जीत सकती है, जिनकी बड़ी संख्या दिल्ली में निवास करती है।

आने वाले दिनों में दिल्ली में ये मुद्दे उठेंगे

बिजली संकट: पावर कट को लेकर समस्या का समाधान।
साफ-सफाई और जल आपूर्ति: यमुन नदी और जल स्रोतों की सफाई।
शिक्षा: स्कूलों और कॉलेजों में सुधार।
स्वास्थ्य सेवाएं: बेहतर अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था।
रोजगार: खासतौर पर युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर।

क्या पूर्वांचलियों को हमेशा एक वोट बैंक की तरह देखा गया है?

पूर्वांचलियों को अक्सर एक वोट बैंक की तरह देखा जाता रहा है। लेकिन इस बार बीजेपी को यह उम्मीद है कि इस समुदाय को अपनी तरफ लाकर वह दिल्ली के चुनाव में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। दिल्ली में बीजेपी और आप के बीच महज 2 प्रतिशत वोट का अंतर है, जो काफी कम है। ऐसे में बीजेपी के लिए यह जरूरी है कि वह जनता को अपने कामों के परिणाम दिखाए, ताकि वह इस अंतर को पार कर सके।

क्या पूर्वांचली होगा दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री?

दिल्ली विधानसभा चुनावों में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए कोई पूर्वांचली नेता होगा, यह सवाल अभी कायम है। हालांकि, बिहार के चुनावों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी का यह कदम काफी महत्वपूर्ण हो सकता है।

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