India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। संघ ने राजधानी दिल्ली में अपने कार्यकर्ताओं की टोलियां (छोटे समूह) तैनात की हैं, ताकि जमीनी स्तर पर बीजेपी के लिए वोट जुटाए जा सकें। आरएसएस के कार्यकर्ता घर-घर जाकर बीजेपी की नीतियों, केंद्र सरकार की योजनाओं और आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के कथित घोटालों के बारे में प्रचार कर रहे हैं। इसके साथ ही, संघ ने एक खास रणनीति बनाई है, जिसमें ‘लोकमत परिष्कार’ नामक मतदाता जागरूकता अभियान भी शामिल है। इस अभियान के तहत संघ कार्यकर्ता अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के असर और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर लोगों से संवाद कर रहे हैं।
बीजेपी के लिए संघ का ‘विक्ट्री प्लान’
आरएसएस की रणनीति का केंद्र दिल्ली की “सेवा बस्तियां” हैं, जहां संघ के कार्यकर्ता गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बीच काम कर रहे हैं। ये बस्तियां 1,123 स्थानों पर फैली हुई हैं, जहां संघ की सहयोगी संस्थाएं जैसे ‘सेवा भारतीय’ अन्य सामाजिक कल्याण योजनाओं पर काम करती हैं। इन क्षेत्रों में संघ ने अपनी मजबूत उपस्थिति बनाई है और स्थानीय निवासियों से सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। संघ ने दिल्ली को 30 जिलों में बांटा है और प्रत्येक जिले में एक मजबूत कार्यकर्ता नेटवर्क तैयार किया है। यहां छोटे समूहों और टोलियों के माध्यम से जनसंपर्क स्थापित किया जा रहा है।
टोलियों के जरिए घर-घर अभियान
आरएसएस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए तीन से चार सदस्यों वाली टोलियां (समूह) तैनात की हैं, जो घर-घर जाकर बीजेपी और संघ के मुद्दों पर चर्चा करती हैं। इन टोलियों का उद्देश्य लोगों तक संघ की विचारधारा को पहुंचाना और स्थानीय मुद्दों पर चर्चा करना है। इसके अलावा, इन टोलियों का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य बांग्लादेशी अवैध घुसपैठियों के मुद्दे पर जागरूकता फैलाना है, और यह बताना है कि यह प्रवासन दिल्ली के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। ये टोलियां केंद्र सरकार की योजनाओं, जैसे ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ और ‘स्वच्छ भारत अभियान’ पर भी चर्चा करती हैं, और इस बात को रेखांकित करती हैं कि आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने इन योजनाओं के लाभ को दिल्लीवासियों तक पहुंचाने में बाधाएं खड़ी की हैं।
संघ की जमीनी रणनीति का प्रभाव
संघ ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए एक सशक्त रणनीति बनाई है, जो न केवल बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है, बल्कि एक लंबे समय तक विचारधारात्मक एकीकरण की भी ओर इशारा कर रही है। संघ का मानना है कि इन टोलियों, सेवा बस्तियों और संघ जिलों के नेटवर्क का प्रभावी उपयोग दिल्ली के मतदाताओं के बीच गहरी पैठ बनाने में मदद करेगा।
परिणाम क्या होंगे?
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 5 फरवरी को होगा, और परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। यह चुनाव न केवल बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच एक कड़ा मुकाबला है, बल्कि यह आरएसएस के रणनीतिक प्रयासों का भी बड़ा परीक्षा है। अब यह देखना होगा कि संघ की ये रणनीतियां बीजेपी को दिल्ली में सत्ता दिला पाती हैं या फिर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी अपनी जीत का हैट्रिक बनाने में सफल होती है।
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