India News Delhi (इंडिया न्यूज़), NDLS Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी की रात महाकुंभ यात्रा के दौरान मची भगदड़ ने 18 लोगों की जान ले ली और दर्जनों लोग घायल हो गए। हादसे के बाद प्रभावित लोग अपने अपनों की तलाश में लोक नायक जय प्रकाश (LNJP) अस्पताल पहुंचे, जहां स्थिति बेहद तनावपूर्ण थी। परिजन अपने घायल और मृत रिश्तेदारों के बारे में जानकारी पाने के लिए व्याकुल थे, जबकि अस्पताल में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल रही थी। अस्पताल में भारी पुलिस बल तैनात था, लेकिन स्थिति नियंत्रण से बाहर होती जा रही थी।
अस्पताल में इन्फॉर्मेशन की कमी
घायलों के परिजन जब LNJP अस्पताल पहुंचे तो उन्हें किसी तरह की जानकारी नहीं मिल रही थी। एक शख्स, वीरेंद्र ने अस्पताल में उपस्थित कर्मचारियों से कहा, “कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है, हम कब से दौड़ रहे हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा।” वीरेंद्र की पत्नी पूनम रोहिल्ला भी भगदड़ की शिकार हो गई थीं, और उन्हें घंटों बाद मृत पाया गया। उनके आंसू यह दर्शाते थे कि अस्पताल में मेडिकल सुविधा के साथ-साथ जानकारी की कमी थी।
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परिजनों का दुख और सदमा
हरियाणा के पानीपत के रहने वाले संतोष महतो की पत्नी ललिता देवी 35 इस हादसे में मारी गईं। संतोष ने बताया, “मैं पानीपत में था, जब यह हादसा हुआ। अब मेरे तीन बच्चे अपनी मां के पार्थिव शरीर को घर ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। यह त्रासदी हमारे परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है।” संतोष का दुख उनके शब्दों में साफ झलक रहा था, जब उन्होंने कहा कि इस हादसे ने उनके पूरे परिवार को गहरा मानसिक और भावनात्मक आघात पहुंचाया है।
शवों की पहचान में कठिनाई
अस्पताल में डॉक्टर लगातार घायलों के इलाज में जुटे थे। LNJP अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार और अन्य वरिष्ठ चिकित्सक इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की स्थिति संभालने में व्यस्त थे। मृतकों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए मोर्चरी में भेज दिया गया था, जबकि गंभीर रूप से घायल मरीजों को आईसीयू और ऑर्थोपेडिक्स वार्ड में भर्ती कराया गया। इस बीच, परिजनों को अपने प्रियजनों की तलाश के लिए अस्पताल में इधर-उधर दौड़ते हुए देखा गया।
मैंने मना किया था, लेकिन मां ने मेरी नहीं सुनी
हादसे में सीलम गिरी की जान चली गई। वह अपने पति और बेटे के साथ कुंभ यात्रा पर निकली थीं। उनके पति अस्पताल में भर्ती हैं। उनके बेटे अमन गिरी ने इस दुखद घटना के बारे में कहा, “मैंने मना किया था, मत जाओ, लेकिन मां ने मेरी बात नहीं मानी।” भारी भीड़ के बीच सीलम गिर पड़ीं और उनकी जान चली गई। उनके बेटे का दुख इस बात से और गहरा हो गया कि अगर मां उनकी बात मान लेतीं, तो शायद यह हादसा टल सकता था।
अस्पताल पहुंची प्रशासनिक टीम
घटना के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी समेत कई वरिष्ठ नेता अस्पताल पहुंचे और हालात का जायजा लिया। हालांकि, पीड़ितों के परिजनों ने प्रशासन की मदद में देरी होने पर गुस्से का इजहार किया। एक पीड़ित ने कहा, “एंबुलेंस आने में 30-35 मिनट लग गए। अगर समय पर मदद मिलती तो शायद कुछ जानें बच सकती थीं।
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