India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi: दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने अश्लील नृत्य के आरोप में गिरफ्तार सात महिलाओं को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा कि कोई अपराध हुआ था।
छोटे कपड़े पहनना अपराध नहीं
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीतू शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि छोटे कपड़े पहनना अब कोई अपराध नहीं है। इसी तरह, गानों पर नाचना भी तब तक दंडनीय नहीं हो सकता जब तक कि यह किसी अन्य व्यक्ति को परेशान न करे।
पुलिस का दावा साबित नहीं हुआ
मामले में पुलिस अधिकारी ने कहीं भी यह नहीं कहा कि नृत्य किसी को असहज कर रहा था। अभियोजन पक्ष के दो गवाहों ने भी माना कि वे उस स्थान पर मनोरंजन के लिए गए थे और मामले की जानकारी नहीं थी। अदालत ने कहा कि पुलिस ने कहानी तो गढ़ी, लेकिन उसे जनता का समर्थन नहीं मिला।
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जांच में लापरवाही
अदालत ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि आसपास मौजूद अन्य लोगों को गवाह के रूप में शामिल नहीं किया गया। अदालत ने बार के प्रबंधक को भी संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
सीसीटीवी नियमों के उल्लंघन का भी प्रमाण नहीं
बार के प्रबंधक पर सीआरपीसी की धारा 144 के तहत एसीपी, पहाड़गंज द्वारा जारी आदेश का उल्लंघन करने और सीसीटीवी कैमरों का उचित रखरखाव न करने का आरोप था। हालांकि, अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि ऐसी कोई अधिसूचना जारी की गई थी या आरोपित को इसके बारे में जानकारी थी।
294 धारा के तहत मामला दर्ज
यह मामला पहाड़गंज पुलिस ने आईपीसी की धारा 294 के तहत दर्ज किया था, जो सार्वजनिक स्थान पर दूसरों को परेशान करने वाले अश्लील कृत्य को अपराध मानती है। पुलिस के अनुसार, यह मामला इलाके में गश्त कर रहे एक सब-इंस्पेक्टर की शिकायत पर दर्ज हुआ था। अदालत ने सभी आरोपितों को पर्याप्त साक्ष्य न होने के आधार पर बरी कर दिया।
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