India News (इंडिया न्यूज़), Delhi Floods, दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों, बाजारों में पानी घुस गया है। कई प्रमुख एरिया जैसे आईटीओ, सिविल लाइन्स, कश्मीरी गेट और लाल किला में पानी भर गया है। यमुना का जलस्तर इतिहास में सबसे ज्यादा अभी है। 13 जुलाई को दोपहर 1 बजे जलस्तर 208.62 मीटर दर्ज किया गया। लोग मान रहे है कि हथिनी कुंड बराज से छोड़ा गया पानी दिल्ली को जलमग्न करने का मुख्य कारण है। लेकिन क्या सिर्फ इतनी सी बात है, क्या सिर्फ हरियाण के एक बैराज की वजह से दिल्ली में बाढ़ आई है। आइए जानते है।

पानी को कम समय लगा

हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से तो हर मौसम में पानी छोड़ा जाता है लेकिन हर साल दिल्ली में बाढ़ नहीं आती थी। आखिरी बार साल 1978 में दिल्ली में बाढ़ आई थी। हथिनी कुंड बैराज दिल्ली से 180 किलोमीटर दूर है। यहां से पानी पहुंचने में 2 से 3 दिन का आमतौर पर समय लगता था लेकिन इस बार पानी मात्र एक दिन में ही पहुंच गया। ऐसे क्यों हुआ? ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यमुना के बाढ़ क्षेत्र में बेतहाशा अतिक्रमण हुआ है। रिपोर्ट बताती है की यमुना के बाढ़ क्षेत्र में बेताशा रूप से घर, फॉर्महाउस और अन्य संस्थानों का निर्माण किया गया। अतिक्रमण की वजह से पानी को एक संकरा रास्ता मिला और यह जल्दी पहुंच गया। नदी की तल को ऊपर उठाने वाला गाद भी एक मुख्य कारण है क्योंकि गाद की निंरतर सफाई दिल्ली में नहीं होती है।

कम समय में अधिक पानी

दुनिया भर में जो भी शहर नदी के किनारे बसे हैं उनमें सिल्ट (गाद) को साफ कर नदी को गहरा किया जाता है। अगर ऐसा नहीं होता है तो पानी फैलने लगता है। दिल्ली में यमुना के साथ भी यही हुआ। दिल्ली में आठ और 9 जुलाई को 150 मिमी बारिश हुई थी। जुलाई में आमतौर पर दिल्ली में 100 मिमी बारिश होती है पर पूरे महीने की बारिश से ज्यादा बारिश सिर्फ दो दिन में देखने को मिली।

अतिक्रमण और नाले बड़ा कारण

दिल्ली में बाढ़ आने का बड़ा कारण यह भी है की दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम खराब है। बारिश का पानी झेलने के लिए तैयार नहीं है। हर साल बारिश में जलजमाव की स्थिती देखने को मिलती है। अगर ड्रेनेज सिस्टम अच्छा होता है इतनी बड़ी मात्रा में शहर में पानी नहीं भरता।

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