India News Delhi (इंडिया न्यूज़), दिल्ली को 20 फरवरी 2025 को नया मुख्यमंत्री मिलेगा। दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी सत्ता में वापसी कर रही है, ऐसे में रामलीला मैदान में मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं। इन सबके बीच दिल्ली का रामलीला मैदान एक बार फिर ऐतिहासिक पल का हिस्सा बनने जा रहा है।

मैदान ने कई आंदोलन देखे..

दिल्ली का यह रामलीला मैदान कई सांस्कृतिक और राजनीतिक आयोजनों का गवाह रहा है। इस मैदान में कई बड़े आंदोलन हुए, जिसने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया।10 एकड़ में फैला दिल्ली का यह रामलीला मैदान कई ऐतिहासिक आंदोलनों और रैलियों का गवाह रहा है। कभी यह एक बड़े तालाब के रूप में दिल्लीवालों की प्यास बुझाता था, लेकिन वक्त ने इसे मैदान में बदल दिया। मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने 1850 में पहली बार इस मैदान पर रामलीला का मंचन किया था, जिस पर बाद में ब्रिटिश सरकार ने रोक लगा दी थी। इसके बाद 1911 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने फिर से रामलीला का मंचन शुरू किया, जो आज तक जारी है। इस मैदान ने कई आंदोलन देखे हैं जिसने कई बड़े आंदोलनों को जन्म दिया। जिन्ना की रैली, श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सत्याग्रह, जेपी का आंदोलन, अन्ना हजारे का अनशन जैसे कई बड़े सत्याग्रह और आंदोलन हुए।

इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने दिल्ली..

1961 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने दिल्ली के इसी रामलीला मैदान में एक जनसभा को संबोधित किया था। इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी मौजूद थे। उस समय इंग्लैंड की महारानी गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने भारत आई थीं।साल 1952 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर के भारत में पूर्ण विलय के लिए दिल्ली के इसी रामलीला मैदान में देशव्यापी सत्याग्रह किया था। दरअसल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे, जिसके चलते उन्होंने नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर 10 सांसदों वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी बनाई थी।

छात्र आंदोलन ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण..

18 मार्च 1974 को बिहार से शुरू हुए छात्र आंदोलन ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को हिलाकर रख दिया था। इसी मैदान में इंदिरा गांधी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे और आपातकाल लगाया गया था। इसके बाद 1977 में तत्कालीन विपक्षी दलों ने कई जनसभाएं कीं जिनमें चौधरी चरण सिंह, बाबू जगजीवन राम, चंद्रशेखर और मोरारजी देसाई जैसे दिग्गज नेता एक साथ नजर आए।

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