India News (इंडिया न्यूज), Yamuna Pollution: राजधानी दिल्ली के प्रमुख जल स्रोतों में से एक, यमुना नदी, प्रदूषण के कारण गंभीर संकट से गुजर रही है। यमुना में घुला हुआ प्रदूषित पानी न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बन चुका है, बल्कि इससे जलीय जीवन पर भी भारी असर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह समस्या अब एक गंभीर पर्यावरणीय आपातकाल की ओर बढ़ रही है। पानी में विभिन्न रसायन और जहरीले पदार्थ जैसे भारी धातुएं और औद्योगिक रसायन मिल गए हैं, जो त्वचा और आंखों में जलन का कारण बन सकते हैं। इन पदार्थों के संपर्क में आने से सांस लेने में भी परेशानी हो सकती है, जिससे अस्थमा और श्वसन संबंधी अन्य रोगों के मामलों में इजाफा हो रहा है।

जलीय जीवों पर असर

यमुना के प्रदूषण का जलीय जीवों पर भी गहरा असर पड़ा है। प्रदूषित पानी में मौजूद रसायन और जहरीले पदार्थ मछलियों और अन्य जलीय जीवों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। मछलियों की मृत्युदर में वृद्धि हो रही है और उनके प्रजनन में भी बड़ी परेशानियां आ रही हैं। इसके अतिरिक्त, प्रदूषित पानी में मौजूद रसायन जलीय जीवों की कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे उनके अस्तित्व को खतरा हो सकता है।

प्रदूषण के कारण

दिल्ली और आसपास के इलाकों से निकलने वाला जल सीधे यमुना में मिल रहा है, जिससे इसके जल की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है। सीवेज के अत्यधिक प्रवाह और औद्योगिक रसायनों के कारण यमुना का पानी इतना प्रदूषित हो चुका है कि अब इसे शुद्ध करने के लिए व्यापक उपायों की आवश्यकता है। यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है यदि तत्काल कदम न उठाए गए। विशेषज्ञों का कहना है कि यमुना नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए सरकारी और नागरिक स्तर पर संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है। यमुना प्रदूषण के कारण बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं और पर्यावरणीय संकट को लेकर समाज और सरकार दोनों को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।

गंदगी से बढ़ रही बीमारियां

यमुना नदी में प्रदूषण और गंदगी के कारण अब राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में स्वास्थ्य समस्याएं गंभीर रूप ले रही हैं। इस संकट के कारण लोगों की सेहत पर गंभीर असर पड़ रहा है, और शहर के नागरिकों में बढ़ती चिंताएं अब समाज और प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती बन चुकी हैं। यमुना में मौजूद गंदगी और के कारण मच्छरजनित और जलजनित रोगों का खतरा बढ़ गया है। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और त्वचा संबंधी संक्रमणों के मामलों में भारी इज़ाफा हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, नदी में पानी की गंदगी और रसायन के मिल जाने से यह पानी पीने, स्नान करने और कृषि कार्यों के लिए भी असुरक्षित हो चुका है। इससे खाद्य सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि यमुना के जल का उपयोग कृषि कार्यों के लिए किया जाता है।

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प्रदूषित पानी से त्वचा और आंखों में समस्या

यमुना नदी में बढ़ता प्रदूषण और गंदगी सीधे तौर पर लोगों के त्वचा और आंखों पर असर डाल रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यमुना के पानी में घुली हुई रासायनिक और जैविक वस्तुएं शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती हैं। यह समस्या विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों में अधिक देखी जा रही है, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। यमुना के प्रदूषण से सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है। नदी के आसपास रहने वाले लोग प्रदूषित हवा और जल के कारण श्वसन संबंधी बीमारियों जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस से परेशान हो रहे हैं। वायु में घुलने वाली जहरीली गैसें और गंदगी के कारण सांस में खांसी और सूजन जैसी समस्याएं आम हो गई हैं।

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