India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi Assembly Election Result 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में कई बड़े दिग्गज नेताओं को झटका लगा, लेकिन इस बार चर्चा का विषय बना हुआ था एक यूट्यूबर, जो मालवीय नगर सीट से चुनावी मैदान में उतरा था। यह यूट्यूबर था मेघनाद एस, जो अपनी यूट्यूब वीडियो और सोशल मीडिया के जरिए खूब चर्चित हुआ था, लेकिन चुनावी नतीजों में उसकी स्थिति बहुत ही खराब रही। महज 192 वोटों के साथ उसकी उम्मीदें धराशायी हो गईं।

192 वोटों में सिमटी उम्मीद

मेघनाद का चुनावी अभियान सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था, खासकर उसका कैंपेन गीत “दिल्ली का नॉर्मी नेता”, जो दिल्ली की ट्रैफिक, टूटी सड़कों, पॉल्यूशन जैसी समस्याओं को व्यंगात्मक तरीके से उजागर करता था। इस गाने को लोगों ने खूब पसंद किया था और यह सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया। कुछ घंटों के भीतर इस गाने को 38 हजार से ज्यादा व्यूज मिले। इस यूट्यूबर को सिर्फ 192 वोट मिले, जो उसके कैंपेन सांग के व्यूज से भी कम थे। चुनावी परिणामों के बाद मेघनाद ने एक ट्वीट में पीएम मोदी के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने युवाओं से राजनीति में आने की बात की थी।

नोटा से भी कम वोट

मेघनाद को चुनावी परिणामों में न केवल हार का सामना करना पड़ा, बल्कि वह नोटा (None of the Above) को भी पीछे छोड़ने में नाकाम रहे। नोटा को 532 वोट मिले, जबकि मेघनाद के हिस्से में सिर्फ 192 वोट आए। इसके बावजूद, मेघनाद ने हार को मजाकिया तरीके से लिया। चुनावी काउंटिंग के दौरान उन्होंने ट्वीट किया था, “141 वोट मिले हैं, चार राउंड बाकी हैं, लेकिन मुझे सच में सात वोट मिलने की ही उम्मीद थी।

यूट्यूबर का चुनावी अभियान

मेघनाद ने इस चुनाव को अपने खर्च पर लड़ा था और प्रचार के दौरान वह परंपरागत राजनीति से इतर एक विकल्प पेश करने का दावा करते थे। अपने चुनाव प्रचार के दौरान, उन्होंने मजाकिया अंदाज में लोगों से बातचीत की और यह साबित करने की कोशिश की कि वह बड़े-बड़े वादों से दूर, सामान्य और ईमानदार नेता हैं। चुनाव में नामांकन करते समय मेघनाद ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया था। उनके अनुसार, उनके पास 55.1 लाख रुपये की अचल संपत्ति है और 1 लाख रुपये की लायबिलिटीज हैं।

सोशल मीडिया पर मिली पहचान

हालांकि चुनावी परिणाम में मेघनाद को कम वोट मिले, लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया पर अच्छी खासी पहचान बनाई। उनके वायरल गाने और कैची स्लोगन्स ने उन्हें एक व्यापक दर्शक वर्ग तक पहुंचाया। वे भले ही राजनीतिक रूप से असफल रहे हों, लेकिन सोशल मीडिया में उनके अभियान की चर्चा लगातार बनी रही। दिल्ली विधानसभा चुनाव ने यह साफ कर दिया कि सोशल मीडिया और वायरल कैंपेन से चुनावी नतीजे हासिल नहीं किए जा सकते।

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