Shiva worship in Sawan:सावन का महीना चल रहा है। शंकर भगवान के सभी मंदिरों में पूजा पाठ की तैयारी चल रही है। सभी भक्त अलग-अलग तरीके से भोले बाबा को आराधना करते है। लेकिन हम आज आपको बताने वाले है की सावन में भगवान शंकर का अभिषेक कैसे करना चाहिए। मन्यता है सावन मास में भगवान शिव प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं। और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि सावन में शिवलिंग की विशेष तरीके से अभिषेक करनी चाहिए। जिससे आपके जीवन में तरक्की और समृध्दि आती है। पुराणों में रुद्राभिषेक कभी भी किया जाता सकता है। लेकिन सावन में रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व है। रुद्रसंहिता में बताया गया है सावन में अगर सावन में रुद्राभिषेक किया जाए तो यह विशेष फलदायी होता है।

आइये जानते है कि किस चीज से अभिषेक करने से क्या फल प्राप्त होता है।

घर में यदि सुख एवं शांति वातावरण चाहिए तो गाय के दुध से भगवान शंकर का अभिषेक करें। शास्त्रो में बताया गया है की अगर लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहें है तो भी आप गाय के दुध से अभिषेक कर सकते है।

पुराणों के अनुसार बताया गया है की अकाल मृत्यु और वंश वृद्धि के लिए गाय के घी से भगवान शंकर का अभिषेक करनी चाहिए। गाय के घी से अभिषेक करने से मनवांछित सफलता मिलती है।

मन्यता है कि घर में लंबे समय से धन की कमी बनी हुई है तो गन्ने के रस से भगवान शंकर का अभिषेक करना चाहिए जिससे कभी भी आपको परिवार में किसी के पास पैसे की कमी नहीं होती है।

शास्त्रों में वर्णन है की अगर आप लंबे समय से किसी प्रकार की बिमारी से जुझ रहे है तो आप शहद से भगवान शंकर का अभिषेक करें।

शत्रुओं के विनाश के लिए सावन माह में सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
कुछ विद्वानों के अनुसार गिलोय के रस से, हल्दी से, गंगाजल से भी भगवान शंकर का अभिषेक करना चाहिए।

अभिषेक के बाद पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते है।

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,

भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।

नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,

तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥1॥

मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,

नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।

मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,

तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥2॥

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,

सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।

श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,

तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥3॥

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,

मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।

चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,

तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥4॥

यक्षस्वरूपाय जटाधराय,

पिनाकहस्ताय सनातनाय ।

दिव्याय देवाय दिगम्बराय,

तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥॥

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते

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