India news:Hanuman ji motivational श्री हनुमान जी की पूजा आप जरुर करते होंगे। उन्हे कलयुग का देवता माना जाता है। शादय ही कोई होगा जो हनुमान जी का भक्त नहीं हो। लेकिन क्या आप जानते है हनुमान जी आपके जीवन के लिए कितने बड़े प्रेरक है।इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है की हनुमान जी कभी अपने काम कि प्रशंसा नहीं करते थे। भगवान राम के सभी सुख -दुख में हनुमान जी थे लेकिन उन्होंने कभी अपने वीरता की प्रशंसा नहीं की। रामचरीत्र मानस में गोस्वामी तुलसी दास जी ने कहा लिखा है।
                              राम दूत मैं मातु जानकी। सत्य सपथ करुनानिधान की॥
                              यह मुद्रिका मातु मैं आनी। दीन्हि राम तुम्ह कहँ सहिदानी॥

हनुमान जी जब माता सीता की खोज में लंका गए, तो माता सीता ने पुछा तुम कौन हो और क्यों आए हो। तभी हुनुमान जी बताते है मैं भगवान राम का दुत हूं। हे माता उन्ही के आदेश से आपके पास आया हूं। और भगवान राम की सच्ची सपथ करके कहता हूं। हनुमान जी यह नहीं बोलते है कि मैं पनव का पुत्र हूं, मैं माता अंजनी का लाल हूं, मैं वही हनुमान हूं जो सुर्य को फल समझ कर निगल गया था। देखिए हनुमान जी कितने विनीत और सुशील है की वह माता सीता से बोलते है मैं जो हूं। प्रभु श्री राम के कारण हूं। इसी लिए कहा गया है इंसान को कभी भी अपनी बड़ाई खुद से नहीं करना चाहिए। हिमालय पहाड़ उठाकर लाते वक्त हनुमान जी को भरत जी ने बाण मार दिया। फिर भी उन्होंने भरत को कुछ नहीं बोला हनुमान में इतनी ताकत थी वे चाहते तो अयोध्या की महल को उठाकर राम के पाल ला सकते थे। लेकिन उन्होंने रामजी के भाई भरत को  सूचना देकर गले से लगाया।तो आपको भी इससे कुछ प्रेरणा मिली होगी कभी भी इंसान को अपनी ताकत के बारे में खुद से प्रशंसा नहीं करना चाहिए और सभी के साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए। तो हनुमान जी से बड़ा प्रेरक कोई दूसरा कैसे हो सकता है।

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