Know Why 9 Days Sharad Navratri Ends in 8 Days this Time
मदन गुप्ता सपाटू
शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर, गुरुवार से शुरू हो रहे हैं, जो कि 15 अक्टूबर, शुक्रवार को संपन्न होंगे। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। इस बार आठ दिन के नवरात्रि में मां भगवती डोली पर सवार होकर पधारेंगी। गुरुवार व शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो तो मां डोली पर सवार होकर आती हैं।
नवरात्र की तिथियों का घटना व श्राद्ध की तिथियों का बढ़ना अशुभ है। अच्छा संकेत नहीं है। तृतीया और चतुर्थी दोनों एक ही दिन है। नौ अक्तूबर शनिवार को प्रात: 7.48 बजे तक तृतीया है बाद में चतुर्थी प्रारंभ हो जाएगी। 15 अक्तूबर को दोपहर में दशमी है। इसलिए दशहरा पूजन शुक्रवार को मनाया जाएगा। चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग के चलते घट स्थापना ब्रह्ममुहूर्त अथवा अभिजीत मुहूर्त में ही शुभ रहेगी।
9 days Sharad Navratri Ends in 8 Days this Time शारदीय नवरात्र का शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ: 6 अक्टूबर शाम 4 बजकर 35 मिनट से शुरू
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 7 अक्टूबर दोपहर 1 बजकर 46 मिनट तक
घटस्थापना का मुहूर्त: 7 अक्टूबर को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 17 मिनट से सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक का है।
9 days Sharad Navratri Ends in 8 Days this Time शारदीय नवरात्रि 2021 तिथियां
7 अक्टूबर- मां शैलपुत्री की पूजा गुरुवार, प्रतिपदा तिथि व चित्रा नक्षत्र:- इस दिन मां शैलपुत्री के रूप में दो वर्ष की कन्या का गाय के घी से निर्मित हलवा व मालपूए का भोग लगाए।
8 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा शुक्रवार, द्वितीया तिथि स्वाति नक्षत्र:- विजय प्राप्ति व सर्वकार्य सिद्धि के लिए तीन वर्ष की कन्या का मां ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा कर मिश्री व शक्कर ने बने पदार्थ का भोग लगाए।
9 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा व मां कुष्मांडा की पूजा तृतीया व चतुर्थी तिथि शनिवार विशाखा/अनुराधा नक्षत्र:-दुखों के नाश व सांसारिक कष्टों से मुक्ति के लिए चार व पांच वर्ष की कन्या का मां चंद्रघंटा/कुष्मांडा के रूप में पूजन कर दूध से निर्मित पदार्थों व मालपुए का भोग अर्पित करें।
10 अक्टूबर- मां स्कंदमाता की पूजा रविवार पंचमी तिथि व अनुराधा नक्षत्र:- विद्यार्थियों को परीक्षा में सफलता व मनोकामना पूर्ति के लिए छह वर्ष की कन्या का मां स्कंदमाता के स्वरूप में पूजन कर माखन का भोग लगाएं।
11 अक्टूबर- मां कात्यायनी की पूजा सोमवार षष्ठी तिथि व ज्येष्ठा नक्षत्र:- चारों पुरुषार्थ व रूप लावण्य की प्राप्ति के लिए सात वर्ष की कन्या का मां कात्यायनी के स्वरूप में पूजन कर मिश्री व शहद का भोग समर्पित करें।
12 अक्टूबर- मां कालरात्रि की पूजा मंगलवार, सप्तमी तिथि व मूल नक्षत्र:- नवग्रह जनित बाधाएं व शत्रुओं के नाश के लिए आठ वर्ष की कन्या का मां कालरात्रि के स्वरूप में पूजा अर्चना कर दाख, गुड़ व शक्कर का नैवेद्य अर्पित करें।
13 अक्टूबर- मां महागौरी की पूजा बुधवार अष्टमी तिथि व पूवार्षाढ़ा नक्षत्र:- नौ वर्ष की कन्या का महागौरी स्वरूप में पूजन कर गाय के घी से निर्मित पदार्थ व श्रीफल का भोग लगाये।
14 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री की पूजा गुरुवार, नवमी तिथि व उत्तराषाढ़ा नक्षत्र :- परिवार में सुख समृद्धि, भय नाश व मनोकामना पूर्ति के लिए 10 वर्ष की कन्या का मां सिद्धिदात्री व नवदुर्गा स्वरूप में पूजन कर खीर, हलवा व सूखे मेवे का भोग लगाए।
15 अक्टूबर- दशमी तिथि, विजयादशमी या दशहरा
9 days Sharad Navratri Ends in 8 Days this Time घट स्थापना की विधि:
नवरात्रि के प्रथम दिन ही घटस्थापना की जाती है। इसे कलश स्थापना भी कहा जाता है। इसके लिए कुछ सामग्रियों की आवश्यकता होती है।
- जल से भरा हुआ पीतल,
- चांदी, तांबा या मिट्टी का कलश,
- पानी वाला नारियल,
- रोली या कुमकुम, आम के 5 पत्ते,
- नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा या चुनरी,
- लाल सूत्र/मौली,
- साबुत सुपारी, साबुत चावल और सिक्के,
- कलश ढकने के लिए ढक्कन और जौ
9 days Sharad Navratri Ends in 8 Days this Time यह हैं कलश स्थापना की पौराणिक विधि:
मां दुर्गा की मूर्ति के दाईं तरफ कलश को स्थापित किया जाना चाहिए। जिस स्थान पर कलश स्थापित करना है वहां पर किसी बर्तन के अन्दर मिट्टी भरकर रखें या फिर ऐसे ही जमीन पर मिट्टी का ढेर बनाकर उसे जमा दें। यह मिट्टी का ढेर ऐसे बनाएं कि उस पर कलश रखने के बाद भी कुछ जगह बाकी रह जाए। कलश के ऊपर रोली अथवा कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं। इसके बाद कलश पर मौली बांध दें। इसके बाद कलश में थोड़ा गंगाजल डालें और बाकी शुद्ध पीने के पानी से कलश को भर दें। जल से भरे कलश के अंदर थोड़े से अक्षत (चावल), 2-4 दूर्वा घास, साबुत सुपारी, और 1 या दो रुपये का सिक्का डालकर चारों ओर आम के 4-5 पत्ते लगा दें। फिर मिट्टी या धातु के बने ढक्कन से कलश को ढक दें। इस ढक्कन पर भी स्वस्तिक बनाएं। इस ढक्कन पर आपको स्वस्तिक बनाना होगा। फिर उस ढक्कन पर थोड़े चावल रखने होंगे। फिर एक नारियल पर लाल रंग की चुनरी लपेटें। इसे तिलक करें और स्वस्तिक बनाएं। नारियल को ढक्कन के ऊपर चावल के ढेर के ऊपर रख दें। नारियल का मुख हमेशा अपनी ओर ही रखे चाहे आप किसी भी दिशा की ओर मुख करके पूजा करते हों। दीपक का मुख पूर्व दिशा की ओर रखें। अगर शारदीय नवरात्र व्रत हो तो कलश के नीचे बची जगह पर अथवा ठीक सामने जौं बोने अच्छे होते हैं।
कन्या पूजन: नवरात्रि में व्रत के साथ कन्या पूजन का बहुत महत्व होता है। जो लोग नवरात्रि के 9 दिनों का व्रत रहते हैं या फिर पहले दिन और दुर्गा अष्टमी का व्रत रखते हैं, वे लोग कन्या पूजन करते हैं। कई स्थानों पर कन्या पूजन दुर्गा अष्टमी के दिन होता है और कई स्थानों पर यह महानवमी के दिन होता है। 01 से लेकर 09 वर्ष की कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरुप माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा की जाती है।
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