India News (इंडिया न्यूज),Mahashivratri 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए यह पर्व हर साल शिव भक्तों द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत रखते हैं और विधि-विधान से शिव-गौरी की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन धरती पर मौजूद सभी शिवलिंगों में भगवान भोलेनाथ विराजमान होते हैं, इसलिए महाशिवरात्रि के दिन की गई शिव पूजा कई गुना अधिक फल देती है।
तीन ग्रहों की बन रही युति
महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। ग्रह योग की विशेष स्थिति इससे पहले वर्ष 1965 में बनी थी। 60 साल बाद महाशिवरात्रि के पर्व पर फिर तीन ग्रहों की युति बनी है। पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की महाशिवरात्रि 26 फरवरी को धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनि करण और मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आ रही है। इस दिन चार प्रहर तक साधना करने से शिव की कृपा प्राप्त होगी।
शुभ संयोग और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करने से उनके भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। वर्ष 1965 में जब महाशिवरात्रि का पर्व आया था, तब सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहे थे। आगामी 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर ये तीनों ग्रह मकर राशि में चंद्रमा की उपस्थिति में युति भी बनाएंगे। सूर्य और शनि पिता-पुत्र हैं और सूर्य शनि की राशि कुंभ में रहेगा। यह एक विशेष युति है, जो लगभग एक शताब्दी में एक बार बनती है, जब अन्य ग्रह और नक्षत्र ऐसी युति में उपस्थित होते हैं। इस प्रबल युति में की गई साधना आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति प्रदान करती है।
लाभकारी होगा ये खास योग
पराक्रम और प्रतिष्ठा में वृद्धि के लिए सूर्य-बुध का केंद्र त्रिकोण योग बहुत लाभकारी होता है। इस युति में साधना और पूजन विशेष तरीके से करना चाहिए। इस दिन सुबह से ही मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है। सभी भक्त भगवान की पूजा-अर्चना में जुट जाते हैं। कई लोग इस दिन अपने घरों में रुद्राभिषेक भी करवाते हैं। भगवान भोलेनाथ की कई तरह से पूजा की जाती है। लेकिन महाशिवरात्रि पर अगर भक्त बेलपत्र के साथ भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं, तो उनकी आर्थिक समस्याएं दूर हो जाएंगी।
महाशिवरात्रि तिथि 2025
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को प्रातः 11:08 बजे प्रारंभ होगी। यह तिथि अगले दिन 27 फरवरी को प्रातः 8:54 बजे समाप्त होगी। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव की पूजा निष्ठा या निशा काल में की जाती है। इसलिए महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।
चार प्रहर की पूजा से मिलेगी धन, यश, प्रतिष्ठा और समृद्धि
धार्मिक शास्त्रीय मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के पर्व काल में चार प्रहर की साधना का विशेष महत्व है। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव की अलग-अलग पूजा का वर्णन है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार साधना श्रद्धा, प्रहर, स्थिति और उपचार के अनुसार करनी चाहिए। चार प्रहर की साधना से धन, यश, प्रतिष्ठा और समृद्धि प्राप्त होती है। जिन लोगों के जीवन में संतान संबंधी परेशानियां हैं, उन्हें भी यह साधना करनी चाहिए।
चार प्रहर पूजा समय
प्रथम प्रहर पूजा समय: शाम 06:19 बजे से रात 09:26 बजे तक
द्वितीय प्रहर पूजा समय: रात 09:26 बजे से रात 12:34 बजे तक
तृतीय प्रहर पूजा समय: सुबह 12:34 बजे से 27 फरवरी, सुबह 03:41 बजे तक
चौथे प्रहर पूजा समय: 27 फरवरी, सुबह 03:41 बजे से सुबह 06:48 बजे तक
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इन चीजों से करें भगवान शिव का अभिषेक
महाशिवरात्रि पर्व के दिन भगवान शिव की पूजा करते समय शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करना शुभ होता है। ऐसा करने से भक्त के कार्य जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर होती हैं और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। शिवरात्रि के दिन दही से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से आर्थिक क्षेत्र में आ रही सभी परेशानियां दूर होती हैं। वहीं भगवान शिव का गन्ने के रस से अभिषेक करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। भगवान शिव का अभिषेक करते समय 108 बार ‘ॐ पार्वतीपतये नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में असमय संकट नहीं आते।
पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराएं। केसर युक्त 8 लोटे जल अर्पित करें। पूरी रात दीपक जलाएं। चंदन का तिलक लगाएं। बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिठाई, मीठा पान, इत्र और दक्षिणा चढ़ाएं। अंत में केसर मिश्रित खीर का भोग लगाएं और प्रसाद बांटें।