India News (इंडिया न्यूज), Agni Panchak 2025: फरवरी माह के अंत में एक ऐसा समय आने वाला है, जिसे धार्मिक शास्त्रों और ज्योतिषियों के अनुसार अत्यंत अशुभ और खतरनाक माना जाता है। यह समय है अग्नि पंचक का, जो 27 फरवरी को शुरू होकर 3 मार्च को समाप्त होगा। इस अवधि के दौरान कुछ खास धार्मिक और ज्योतिषीय नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। शास्त्रों में इन दिनों को विशेष रूप से वर्जित माना गया है और इनकी आस्थाओं के अनुसार इन दिनों में विशेष सावधानियाँ बरतनी चाहिए। आइए जानते हैं इस समय की धार्मिक मान्यता और इसके दौरान होने वाली घटनाओं के बारे में।
पंचक काल क्या है?
पंचक काल वे पांच दिन होते हैं, जिन्हें हिंदू धर्म के धार्मिक शास्त्रों में अशुभ माना गया है। यह समय हर महीने में एक बार आता है और इसे खासतौर पर अपने कार्यों और यात्रा में विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। पंचक का प्रारंभ तब होता है जब चंद्रमा विशेष नक्षत्रों में प्रवेश करता है। इनमें प्रमुख नक्षत्र हैं:
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- धनिष्ठा
- शतभिषा
- पूर्वा भाद्रपद
- उत्तरा भाद्रपद
- रेवती
इन नक्षत्रों में चंद्रमा के प्रवेश के समय को पंचक काल कहा जाता है। यह अवधि हर महीने में पांच दिन की होती है, और इस दौरान कुछ विशेष कार्यों को करने से बचने की सलाह दी जाती है।
अग्नि पंचक क्या है?
इस बार फरवरी में आने वाला पंचक खास है, क्योंकि इसे “अग्नि पंचक” कहा जा रहा है। इस विशेष पंचक के दौरान आग से जुड़ी घटनाओं का होना अधिक संभावित माना जाता है। ज्योतिषियों का मानना है कि इस समय के दौरान आग लगने की घटनाएं, दुर्घटनाएं और अन्य अनहोनी घटनाएं हो सकती हैं, इसलिए इन पांच दिनों में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।
अग्नि पंचक का समय और इसकी अवधि
अग्नि पंचक इस वर्ष 27 फरवरी को शाम 4:27 बजे से शुरू होगा और 3 मार्च को शाम 6:39 बजे समाप्त होगा। इस दौरान विशेष रूप से निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:
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नया घर बनवाते समय सावधानी: अगर आप अपना नया घर बना रहे हैं या निर्माण कार्य में कोई बदलाव करने जा रहे हैं, तो पंचक के दौरान विशेष सावधानी रखें। खासकर स्लैब न बिछाएं, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करना नकारात्मक परिणामों का कारण बन सकता है।
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दक्षिण दिशा में यात्रा से बचें: हिंदू धर्म में दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना गया है, और इसे अशुभ दिशा माना जाता है। अग्नि पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा करने से दुर्घटनाओं और अन्य अनहोनी घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए ऐसी यात्रा से बचना चाहिए।
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नदी किनारे और भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहें: अग्नि पंचक के दौरान नदी किनारे, समुद्र तट या भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए। इन स्थानों पर दुर्घटनाओं, भगदड़, सुनामी और अन्य अनहोनी घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। इस समय में इन स्थानों पर जाने से संभावित नुकसान हो सकता है, जिससे बचना चाहिए।
अग्नि पंचक के दौरान क्या करें और क्या न करें?
अग्नि पंचक के समय में कुछ विशेष कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है, जिनमें प्रमुख हैं:
- नए कार्यों की शुरुआत से बचें: इस समय नए कामों की शुरुआत करने से बचें, खासकर व्यापार, निर्माण या यात्रा से संबंधित कार्यों से।
- समय का सदुपयोग करें: इस अवधि में अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। यह समय ध्यान, साधना और शांति की प्राप्ति के लिए उपयुक्त होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति के लिए ध्यान केंद्रित करें: इस समय को आत्मज्ञान, साधना, और ध्यान के लिए अच्छा माना जाता है। आप धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेकर या साधना करके इस समय का सदुपयोग कर सकते हैं।
अग्नि पंचक का समय धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे बेहद अशुभ समझा जाता है। इस समय विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिए और कुछ कार्यों से बचना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आग से जुड़ी घटनाओं और दुर्घटनाओं का खतरा इस समय अधिक होता है। इस समय में, यदि हम धार्मिक निर्देशों का पालन करें और अपनी यात्रा और कार्यों में सावधानी रखें, तो हम इस खतरनाक समय को पार कर सकते हैं। साथ ही, इस समय का उचित उपयोग करते हुए आत्मिक उन्नति की ओर भी बढ़ सकते हैं।
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