India News (इंडिया न्यूज़), Mahakumbh 2025: प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। महाकुंभ के पहले दिन लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई। अब आज यानी 14 जनवरी को महाकुंभ का पहला अमृत स्नान यानी शाही स्नान किया जाएगा। मकर संक्रांति के पावन अवसर पर नागा साधु और अन्य संत शाही स्नान करेंगे। महाकुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व माना जाता है।
कहते हैं कि शाही स्नान के दिन पवित्र संगम में डुबकी लगाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। लेकिन शाही स्नान के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी है अन्यथा स्नान का पुण्य प्राप्त नहीं होता। आइए आपको बताते हैं कि शाही स्नान के दिन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
महाकुंभ 2025 में कितने अमृत स्नान किए जाएंगे? इस बार महाकुंभ में 3 अमृत स्नान किए जाएंगे और उनकी तिथि नीचे दी गई है।
महाकुंभ पहला अमृत स्नान
महाकुंभ का पहला शाही स्नान आज यानी 14 जनवरी 2025 को किया जाएगा। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन तिल, गुड़ और खिचड़ी की पूजा और दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
पहला अमृत स्नान शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 5:27 से 6:21 बजे तक रहेगा।
महापुण्यकाल – सुबह 9:03 से 10:48 बजे तक रहेगा।
पुण्यकाल – सुबह 9:03 से शाम 5:46 बजे तक रहेगा।
महाकुंभ दूसरा अमृत स्नान
महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी 2025 को किया जाएगा। इस दिन मौनी अमावस्या पड़ रही है। हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व माना जाता है। मौनी अमावस्या पर स्नान, दान और मौन व्रत रखने का विधान है। मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में स्नान करने से कई गुना अधिक शुभ फल प्राप्त होता है।
महाकुंभ तीसरा अमृत स्नान
महाकुंभ का तीसरा और अंतिम अमृत स्नान 3 फरवरी 2025 को किया जाएगा। इस दिन बसंत पंचमी का त्योहार पड़ रहा है। बसंत पंचमी पर पवित्र नदी में स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व है। बसंत पंचमी पर ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है।
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अमृत स्नान के नियम
अमृत स्नान के दिन सबसे पहले नागा साधुओं को स्नान करने का अधिकार होता है। इसके बाद अन्य प्रमुख साधु स्नान करते हैं और फिर गृहस्थ स्नान करते हैं।
अमृत स्नान के दिन साधु-संतों और नागा बाबाओं के स्नान करने के बाद ही स्नान करना चाहिए, अन्यथा कुंभ स्नान का फल नहीं मिलता है।
अगर आप अमृत स्नान के दिन महाकुंभ में स्नान करने जा रहे हैं तो साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। गंगा में स्नान करते समय साबुन और शैंपू का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
महाकुंभ में स्नान करने के बाद संगम तट पर स्थित लेटे हुए हनुमान जी और अक्षय वट मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए।
महाकुंभ में अमृत स्नान करने के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, धन, वस्त्र और तिल आदि का दान करना चाहिए।