India News (इंडिया न्यूज), Ancestors Photo Vastu: भारतीय संस्कृति में पितरों यानी पूर्वजों को विशेष स्थान प्राप्त है। ऐसा माना जाता है कि वे आज भी सूक्ष्म रूप में हमारे जीवन से जुड़े रहते हैं और यदि हम उन्हें सम्मान देते हैं तो वे हमें आशीर्वाद प्रदान करते हैं। पितरों की तस्वीरें घर में लगाना एक सामान्य परंपरा है, लेकिन यदि यह कार्य वास्तु शास्त्र के नियमों के विपरीत किया जाए तो इसका असर जीवन में बाधाओं के रूप में सामने आ सकता है।
वास्तु शास्त्र के हिसाब से लगाए फोटो
वास्तु शास्त्र में पितरों की फोटो लगाने के लिए कुछ खास नियम बताए गए हैं। इनका पालन करना जरूरी है क्योंकि तस्वीरें गलत दिशा या स्थान पर लगाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास हो सकता है, जिससे जीवन में बार-बार समस्याएं आ सकती हैं।
पितरों की फोटो क्यों होती है महत्वपूर्ण?
भारतीय परंपरा में पितृ पूजन और श्राद्ध अनादि काल से चलते आ रहे हैं। मान्यता है कि पूर्वजों की आत्माएं सूक्ष्म रूप में परिवार के साथ रहती हैं और उनका आशीर्वाद जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का कारण बनता है। ऐसे में घर में उनकी तस्वीरें लगाना श्रद्धा का प्रतीक है, लेकिन यह तभी फलदायी होता है जब उसे वास्तु शास्त्र के अनुसार सही दिशा में लगाया जाए।
मंदिर में लगाना सबसे बड़ी गलती
अक्सर लोग भावनाओं में बहकर पितरों की तस्वीरें घर के मंदिर में लगा देते हैं, जो कि वास्तु के अनुसार सबसे बड़ी भूल मानी जाती है। मंदिर केवल ईश्वर की मूर्तियों और तस्वीरों का स्थान होता है जहां ब्रह्म और दिव्य ऊर्जा प्रवाहित होती है। जबकि पितरों की आत्माएं भौतिक और सूक्ष्म जगत के बीच की होती हैं, इसलिए उनकी ऊर्जा मंदिर में अनुकूल नहीं बैठती।
क्या हो सकते हैं इसके दुष्परिणाम?
मंदिर में पितरों की तस्वीरें लगाने से पितृ दोष उत्पन्न हो सकता है। इसके लक्षणों में मानसिक अशांति, नींद में बाधा, निर्णय लेने में भ्रम, आर्थिक समस्याएं, प्रमोशन में देरी और बार-बार जीवन में रुकावटें आना शामिल हैं।
तस्वीर लगाने की सही दिशा कौन-सी है?
वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार पितरों की तस्वीरें घर की दक्षिण दिशा में लगानी चाहिए। इसे यम की दिशा माना गया है और मृत आत्माओं का वास भी इसी दिशा में होता है। ध्यान रहे कि तस्वीरें ऐसी दीवार पर लगाई जाएं जो पूर्व या उत्तर दिशा की ओर न हो। फोटो लगाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके चेहरे स्पष्ट, शांत और प्रसन्न मुद्रा में हों। इसके अलावा सामने की दीवार खाली होनी चाहिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बाधित न हो।
तस्वीर लगाने का सही समय और विधि
पितरों की तस्वीर लगाने के लिए श्राद्ध पक्ष, शुभ मुहूर्त, या अमावस्या का दिन सबसे उपयुक्त माना जाता है। लगाने से पहले स्थान को गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए और फिर एक दीया प्रतिदिन उनके सामने जलाना शुभ होता है।
क्या करें और क्या न करें?
पितरों की तस्वीरें कभी भी बेडरूम, रसोई, बाथरूम या पढ़ाई के कमरे में नहीं लगानी चाहिए। कई बार लोग तस्वीर के नीचे फूल रख देते हैं और हफ्तों तक नहीं हटाते, इससे नकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है। इसके अलावा किसी और की तस्वीरों के साथ मिलाकर कोलाज बनाकर लगाना भी अनुचित है। यह पितरों के सम्मान के विरुद्ध माना जाता है।
पितरों की कृपा कैसे प्राप्त करें?
अगर आपको लगता है कि जीवन में लगातार रुकावटें आ रही हैं या मेहनत का फल नहीं मिल रहा है, तो यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है। इसे दूर करने के लिए हर अमावस्या को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं, काले तिल, जल और जौ से तर्पण करें, गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करें, गाय को हरा चारा और कुत्तों को रोटी खिलाएं।
पितरों की उपेक्षा करने पर होगा भयंकर परिणाम
वास्तु शास्त्र और पुराणों में स्पष्ट उल्लेख है कि अगर पितरों को सम्मान नहीं दिया गया या उनकी तस्वीरों के साथ लापरवाही बरती गई तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं—जैसे वंश वृद्धि में बाधा, बार-बार बीमारी, आर्थिक तंगी, कर्ज में फंसना और पारिवारिक कलह।
श्रद्धा के साथ विज्ञान का संतुलन जरूरी
पूर्वजों के प्रति श्रद्धा होना शुभ है, लेकिन उस श्रद्धा को सही दिशा देना और वास्तु के नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। पितरों की फोटो लगाने का उद्देश्य उनका आशीर्वाद प्राप्त करना होता है, लेकिन एक छोटी सी गलती भी उस आशीर्वाद को बाधा में बदल सकती है। इसलिए हमेशा ध्यान रखें कि, मंदिर में पितरों की फोटो न लगाएं, सही दिशा चुनें, और नियमित रूप से उनका स्मरण करें। जब पितरों का आशीर्वाद साथ होता है तो जीवन की कठिनाइयां भी सरल हो जाती हैं।