India News (इंडिया न्यूज), Antim Sanskar: हिन्दू धर्म में व्यक्ति के मरने के बाद उसके अंतिम संस्कार के दौरान कई सारी प्रक्रियाएं की जाती हैं, जिनका कुछ न कुछ अर्थ जरूर होता है। यदि आप किसी के अंतिम संस्कार में गए हैं तो आपने जरूर देखा होगा कि शव के सिर पर तीन बार डंडा मारा जाता है, यह परंपरा भी मुख्य रूप से हिंदू धर्म में ही निभाई जाती है। आपको बता दें कि इस क्रिया को कपाल क्रिया कहते है। इस प्रक्रिया को मरने वाले इंसान के सिर जिसे कपाल यानिकि खोपड़ी भी कहते हैं को भेदने के लिए करते हैं। हिन्दू धर्म में इसके पीछे कई धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं। यह क्रिया शवदाह संस्कार के दौरान की जाती है और इसे मृतक की आत्मा के शरीर से मुक्त होने के लिए आवश्यक माना जाता है।

क्या होती है कपाल क्रिया?

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, कपाल क्रिया का उद्देश्य मृतक की आत्मा को शरीर से पूरी तरह मुक्त करना होता है। हिन्दू शास्त्रों में कहा गया है कि जब तक खोपड़ी नहीं टूटती, तब तक आत्मा का शरीर से मोह बना ही रहता है। डंडे से सिर पर तीन बार प्रहार करने से आत्मा का मोह समाप्त हो जाता है और वह परलोक की यात्रा पर निकल पड़ती है।

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इस तरह से आत्मा त्यागती है शरीर

इसके पीछे एक वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टिकोण भी है। मृतक के सिर के ऊपरी हिस्से में ‘ब्रह्मरंध्र’ नामक स्थान होता है, जहाँ से आत्मा शरीर को छोड़ती है। डंडे से कपाल पर प्रहार करने से यह स्थान खुलता है और आत्मा को शरीर त्यागने में सहायता मिलती है। अगर यह क्रिया न की जाए तो माना जाता है कि आत्मा भटक सकती है और मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाती। यह परंपरा शास्त्रों के अनुसार एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान मानी जाती है, जिसे मृतक के परिवार के सदस्य या पुजारी द्वारा पूरा किया जाता है। अंतिम संस्कार की इस प्रक्रिया के माध्यम से मृतक को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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