Hindi News / Dharam / Arjuna Second Marriage With Subhadra In Mahabharata Arjun Had Married Shubhadra For The Second Time What Was The Reaction Of His First Wife Draupadi After That

जिस पति को सबसे ज्यादा प्रेम करती थीं द्रौपदी…उसी ने दिया सबसे बड़ा धोखा, महाभारत में 'सौतन' की अनुसनी कहानी

Arjuna Second Marriage With Subhadra: महाभारत की कथा में द्रौपदी को एक अत्यंत सशक्त, मुखर और आत्मसम्मान से भरपूर स्त्री के रूप में चित्रित किया गया है।

BY: Yogita Tyagi • UPDATED :
Advertisement · Scroll to continue
Advertisement · Scroll to continue

India News (इंडिया न्यूज), Arjuna Second Marriage With Subhadra: महाभारत की कथा में द्रौपदी को एक अत्यंत सशक्त, मुखर और आत्मसम्मान से भरपूर स्त्री के रूप में चित्रित किया गया है। पांचों पांडवों की पत्नी बनने के पीछे की परिस्थितियां भले ही अनचाही रहीं हों, लेकिन द्रौपदी ने अपनी एक शर्त स्पष्ट कर दी थी, जिस घर में वह रहेगी, वहां कोई दूसरी स्त्री नहीं लाई जाएगी। यह नियम उसके लिए मात्र एक शर्त नहीं बल्कि आत्मसम्मान का प्रतीक था। हालांकि बाद में सभी पांडवों ने अन्य विवाह किए, लेकिन उन्होंने अपनी पत्नियों को द्रौपदी के गृह से अलग ही रखा। द्रौपदी को पूर्ण विश्वास था कि अर्जुन, जिससे उसे सबसे अधिक लगाव था, इस वचन का कभी उल्लंघन नहीं करेगा। लेकिन जब अर्जुन ने वनवास के दौरान तीन विवाह किए और उनमें से एक सुभद्रा को घर लेकर आए, तो द्रौपदी का दिल टूट गया।

अर्जुन-सुभद्रा की शादी बनी क्लेश की वजह

अर्जुन जब वनवास पर गए, तो उन्होंने वहां तीन शादियां कीं। सबसे पहले उन्होंने नागकन्या उलूपी से विवाह किया, फिर मणलूर की राजकुमारी चित्रांगदा से। अंत में उन्होंने प्रभास क्षेत्र में कृष्ण की बहन सुभद्रा से विवाह किया। इस विवाह में कृष्ण ने खुद अर्जुन की सहायता की और उसे सुभद्रा का हरण करने की सलाह दी। जब अर्जुन सुभद्रा को साथ लेकर इंद्रप्रस्थ लौटे, तब द्रौपदी का क्रोध चरम पर पहुंच गया। उन्हें अर्जुन से यही अपेक्षा थी कि वह द्रौपदी के दिए वचन का सम्मान करेंगे। लेकिन अर्जुन ने वही किया जिसकी आशंका द्रौपदी को सबसे कम थी।

शादी के लिए कैसे चुनें सही जीवनसाथी? होने वाले पति के साथ आगे बढ़ने से पहले पूछ लें ये 3 सवाल, संत प्रेमानंद जी से जानें

Arjuna Second Marriage With Subhadra

‘सावधान इंडिया’ फेम एक्टर ने तोडा दम, लंबे समय से लड़ रहे थे कोलन कैंसर से जंग, आखिरी पोस्ट देख निकल आएंगे आंसू

विश्वासघात की भावना से भर उठीं द्रौपदी

द्रौपदी को ऐसा लगा जैसे उसके सबसे प्रिय पांडव ने उसके साथ छल किया हो। उसे याद आया कि विवाह के समय उसने स्पष्ट कहा था कि किसी अन्य स्त्री को उस घर में नहीं लाया जाएगा, जहां वह पांडवों के साथ रहती है। द्रौपदी ने अर्जुन पर इस वचन को तोड़ने का आरोप लगाया। अर्जुन से बात करने से इनकार कर दिया। उसके मन में गहरे आघात और भावनात्मक उथल-पुथल की स्थिति उत्पन्न हो गई।

अर्जुन को लेकर द्रौपदी की विशेष भावना

द्रौपदी का अर्जुन से विशेष लगाव था। जब अर्जुन ने स्वयंवर में ब्राह्मण वेश में मछली की आंख भेदकर द्रौपदी को जीता, तब द्रौपदी चाहती थीं कि केवल अर्जुन की ही पत्नी बनें। लेकिन कुंती की अनजानी आज्ञा के कारण उसे पांचों पांडवों की पत्नी बनना पड़ा। इसके बावजूद उसने कभी अर्जुन से मोह नहीं त्यागा। जब अर्जुन ने युधिष्ठिर और द्रौपदी के एकांत में हस्तक्षेप कर शर्त तोड़ी, तो उसने स्वयं को एक वर्ष के वनवास की सजा दी। उसी दौरान ही तीन विवाह हुए।

सुभद्रा के प्रवेश से टूटा दिल

द्रौपदी को सबसे ज्यादा आपत्ति सुभद्रा से विवाह पर थी, क्योंकि वह घर लाई जा रही थीं। उलूपी और चित्रांगदा को अर्जुन ने उनके-उनके राज्यों में ही छोड़ दिया था, लेकिन सुभद्रा को घर लाना, द्रौपदी की शर्त और भरोसे दोनों को तोड़ने जैसा था। जब अर्जुन ने सुभद्रा को साथ लाकर प्रस्तुत किया, तब द्रौपदी ने अर्जुन से साफ कहा, अब तुम उसी के पास जाओ। उसका क्रोध इतना गहरा था कि वह अर्जुन का चेहरा तक देखना नहीं चाहती थी।

सुभद्रा की विनम्रता से पिघला दिल

हालांकि अर्जुन ने कई प्रयास किए, लेकिन द्रौपदी का गुस्सा कम नहीं हुआ। तब सुभद्रा खुद द्रौपदी के पास गईं और कहा, “मैं तुम्हारी दासी हूं, कृपया मुझे स्वीकार करो”। सुभद्रा की विनम्रता और नम्र व्यवहार ने द्रौपदी का क्रोध धीरे-धीरे शांत किया। बाद में द्रौपदी और सुभद्रा के बीच मजबूत रिश्ता बना। दोनों बहनों की तरह रहने लगीं। द्रौपदी ने सुभद्रा और अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को अपने पुत्र जैसा प्यार दिया।

रिश्तों में आई स्थिरता

समय के साथ द्रौपदी ने न केवल सुभद्रा को अपनाया बल्कि अर्जुन की अन्य पत्नियों उलूपी और चित्रांगदा से भी अच्छे संबंध बनाए। उन्होंने सभी को अपने विस्तारित परिवार का हिस्सा माना। महाभारत युद्ध के बाद जब युधिष्ठिर राजा बने, तो द्रौपदी को मुख्य रानी का दर्जा मिला और वह उनके साथ राजसिंहासन पर बैठीं।

अंत तक अर्जुन से रहा प्रेम

जब पांडवों ने अपने अंतिम समय में हिमालय की यात्रा शुरू की, तो द्रौपदी भी उनके साथ चल दीं, जबकि अन्य पत्नियां हस्तिनापुर में रुक गईं। सुभद्रा, जो अब राजमाता बन चुकी थीं, राज्य का संचालन करती रहीं। यद्यपि अर्जुन के विवाहों ने द्रौपदी को गहरी चोट पहुंचाई, लेकिन उसका प्रेम अर्जुन के लिए अंत तक बना रहा। उनके जीवन में सबसे प्रिय उनके लिए अर्जुन ही थे। महाभारत के इस प्रसंग से स्पष्ट होता है कि प्रेम, आत्मसम्मान और रिश्तों के बीच संतुलन बनाए रखना कितना कठिन हो सकता है। द्रौपदी जैसी दृढ़ नारी ने आहत होने के बावजूद धैर्य और विवेक से संबंधों को संजोया और उन्हें एक नया आकार दिया। यही कारण है कि वह आज भी भारतीय साहित्य की सबसे प्रभावशाली महिला पात्रों में गिनी जाती हैं।

‘मैं तेरे बकाया पैसे तब दूंगा जब ये तार ठीक कर दोगे’…टूटी तार को ठीक करते समय इलेक्ट्रीशियन की करंट की चपेट आने से मौत, परिजनों ने दुकानदार को ठहराया दोषी 

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Tags:

Arjuna Second Marriage With Subhadra
Advertisement · Scroll to continue

लेटेस्ट खबरें

Advertisement · Scroll to continue