India News (इंडिया न्यूज),  Astro Tips For Rahu: भारतीय ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार राहु छाया ग्रह होता है। उसका क्रूर और निर्दयी होना व्यक्ति के जीवन में कई तरह की परेशानियां खड़ी करता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु दोष मिलता है तो उसका जीवन नरक से बदतर बनने लगता है। उसके जीवन में कई ऐसी अशुभ घटनाएं होने लगती हैं जिसका उसे अंदेशा भी नहीं होता है। नींद न आना, रात को डरावने सपने आना, सोते ही बार-बार डरकर उठ जाना, शरीर का कमजोर हो जाना या बहुत ज्यादा आलस्य आना आपकी कुंडली में राहु के अशुभ होने का संकेत दे रहे हैं। यदि राहु अशुभ फल दे रहा है तो आपको उसे शांत कराने की कोशिश करनी चाहिए। हम आपको बताएंगे कि यदि कुंडली में राहु दोष बन रहा है तो उसके क्या लक्षण होते हैं और इसे दूर करने के आसान उपाय क्या हैं।

कुंडली में राहु दोष के क्या हैं लक्षण?

  • यदि आपकी कुंडली में राहु दोष है तो उसके बुरे प्रभाव के कारण आपके नाखून और बाल झड़ने लगते हैं।
  • घर में राहु की अशुभ छाया होने पर वहां मौजूद पालतू जानवर और पक्षी जिन्दा नहीं रह पाते हैं।
  • राहु भारी होने पर परिवार के सदस्यों में अनबन बनी रहती है और पति-पत्नी में आये दिन लड़ाई भी होती है।
  • राहु की अशुभ छाया पड़ने पर घर के आसपास बार-बार सांप दिखाई देते हैं।
  • राहु भारी होने पर व्यक्ति का मन असंतुलित हो जाता है और वह ज्यादातर समय उलझन में रहता है।

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क्या है राहु दोष निवारण उपाय?

राहु की असंतुलित स्थिति जीवन में तनाव और कठिनाई लाती है। ऐसी स्थिति में घबराना समाधान नहीं है। कुंडली में राहु की स्थिति को ठीक करने के लिए हर सोमवार और शनिवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और काले तिल चढ़ाएं। सुबह स्नान करने के बाद 108 बार ‘ॐ रां राहवे नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए। पानी में कुश डालकर स्नान करने से भी कुंडली से राहु दोष कम होता है। बुधवार से शुरू करके सात दिनों तक काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाने से राहु दोष काफी हद तक कम हो जाता है। जिन लोगों की कुंडली में राहु पीड़ित है, उन्हें नीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए और शराब और मांस से दूर रहना चाहिए। जो लोग राहु के अशुभ प्रभावों से परेशान हैं, उन्हें भगवान शिव की शरण लेनी चाहिए। सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और राहु का नकारात्मक प्रभाव कम होता है। राहु की महादशा से परेशान व्यक्ति को शिव साहित्य, शिवपुराण आदि का पाठ करना चाहिए।

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