India News (इंडिया न्यूज), Atichari Guru: ज्योतिषीय दृष्टि से ग्रहों की गति का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव होता है। जब कोई ग्रह अपनी सामान्य गति से तेज चलता है, एक राशि से दूसरी में प्रवेश करता है और फिर वक्री होकर पिछली राशि में लौट आता है, तो इसे ‘अतिचारी चाल’ कहा जाता है। 2025 में देवगुरु बृहस्पति इसी विशेष गति में रहेंगे। यह चाल कुछ राशियों के लिए लाभकारी तो कुछ के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है। आइए जानते हैं इस अतिचारी चाल का विभिन्न राशियों पर प्रभाव।

अतिचारी चाल का समय और घटनाक्रम

  • 14 मई 2025: गुरु मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।
  • 18 अक्टूबर 2025: गुरु कर्क राशि में पहुंच जाएंगे।
  • 11 नवंबर 2025: गुरु वक्री होकर पुनः मिथुन राशि में लौट आएंगे।
  • 2026: गुरु एक और राशि परिवर्तन करेंगे और इस दौरान भी अतिचारी चाल में रहेंगे।

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राशियों पर प्रभाव

मिथुन राशि

गुरु की अतिचारी चाल मिथुन राशि वालों के लिए उलझनों और रुकावटों को बढ़ा सकती है। इस दौरान:

  • किस्मत का साथ कम मिलेगा।
  • लंबे समय से अटके काम और टल सकते हैं।
  • विदेश यात्रा या सेवा कार्यों में निराशा हाथ लग सकती है।
  • मानसिक तनाव और अकेलापन महसूस हो सकता है।

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कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए यह समय मानसिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

  • आत्मविश्वास डगमगा सकता है।
  • नेगेटिव सोच हावी हो सकती है।
  • स्टूडेंट्स को परीक्षाओं में अपेक्षित सफलता नहीं मिलेगी।
  • कला, म्यूजिक और लेखन में आलोचना का सामना करना पड़ सकता है।

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तुला राशि

तुला राशि के लिए यह समय आर्थिक और पारिवारिक चुनौतियां ला सकता है।

  • आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
  • नए घर या गाड़ी खरीदने की योजनाएं टल सकती हैं।
  • पारिवारिक तनाव और पुराने झगड़े उभर सकते हैं।
  • लव लाइफ में गलतफहमियां बढ़ सकती हैं।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों के लिए आलस्य और नेगेटिविटी बढ़ सकती है।

  • भाई-बहनों से अनबन हो सकती है।
  • नए स्किल सीखने की कोशिश अधूरी रह सकती है।
  • आत्मसम्मान को ठेस पहुंच सकती है।
  • मीडिया, लेखन और टीचिंग में अस्थिरता आ सकती है।

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कुंभ राशि

कुंभ राशि के लिए गुरु की चाल भ्रम और आत्मविश्वास में कमी ला सकती है।

  • बार-बार फैसले बदलने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है।
  • शादी, करियर और बिजनेस में भ्रम की स्थिति बन सकती है।
  • कोई बड़ा निर्णय भविष्य में पछतावे का कारण बन सकता है।

सुझाव और उपाय

  • गुरुवार का व्रत रखें और पीली वस्तुओं का दान करें।
  • बृहस्पति के बीज मंत्र का जाप करें।
  • सकारात्मक सोच बनाए रखें और धैर्य से काम लें।
  • महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञों से सलाह लें।

देवगुरु बृहस्पति की अतिचारी चाल का प्रभाव राशियों पर भिन्न-भिन्न हो सकता है। यह समय धैर्य, समझदारी और नियमित पूजा-पाठ का है। ग्रहों की गति को समझकर हम अपने जीवन में संतुलन बनाए रख सकते हैं और चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

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