Bhangarh Fort: जादूगर की मौत या साधु का श्राप, क्यों भानगढ़ कहलाता है भूतों का किला?
Bhangarh Fort
India News (इंडिया न्यूज), Bhangarh Fort: भारत अपनी संस्कृति, अपनी बोलचाल, और अपनी प्रसिद्ध परंपराओ के लिए पूरी दुनिया में काफी ज्यादा प्रचलित है। देश-विदेश से पर्यटक हमारे देश में घूमने आते है और यदि वह एक बार यहां की संस्कृति से आकर्षित हो जाए, तो वह यही के होकर रह जाते है। कुछ ऐसे राज्य हैं जहां की खूबसूरती से ज्यादा वहां की रहस्यों की चर्चा होती है। हम बात कर रहे हैं राजस्थान की।यहां कई बड़े-बड़े किले, हवेलियां, झील, नदियां, झरने, राष्ट्रीय उद्यान हैं जो पर्यटकों को अपनी और बूलाते है। राजस्थान को भारत का प्रमुख पर्यटन स्थल राज्य भी कहा जाता है। राजस्थान में हरी-भरी पहाड़ियों के बीचों-बीच मौजूद भानगढ़ का किला अपने बेहतरीन आर्किटेक्चर से ज्यादा यह किला अपने रहस्यमई चीजों और भूतिया कहानी के लिए मशहूर है। जिसके बारे में जानकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
भानगढ़ किला का इतिहास
साधु के श्राप के कारण भानगढ़ किला कहलाता है भूतिया
एकतरफा प्यार भी है शहर के नष्ट होने की वजह
भानगढ़ किला का इतिहास
भानगढ़ किला जयपुर और अलवर शहर के बीच सरिस्का सेंचुरी से 50 किलोमीटर दूर स्थित है। इस किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में आमेर के महान मुगल सेनापति मानसिंह के छोटे भाई राजा माधव सिंह ने करवाया था। 1720 तक भानगढ़ में शाही महल के अलावा 9000 से ज्यादा घर मौजूद थे लेकिन वह घर धीरे-धीरे गायब हो गए। किला के परिसर में भव्य हवेलियों, मंदिरों और बाजारों के अवशेष हैं। वहां का शांत वातावरण, सुरम्य अरावली पर्वत, और खूबसूरत वास्तुकला पर्यटकों अपनी और आकर्षित करता है।
साधु के श्राप के कारण भानगढ़ किला कहलाता है भूतिया
दरअसल, जिस जगह पर यह किला बन रहा है, वहीं पास में बाबा बलाऊ नाथ तपस्या किया करते थे। किले के निर्माण के पहले बाबा ने माधव सिंह के सामने एक शर्त रखी थी जिसमें उन्होनें कहा था की किले की कोई भी इमारत उनके घर से ऊंची नहीं होनी चहिए नहीं तो पूरा शहर नष्ट हो जाएगा। लेकिन माधव सिंह के पोते अजब सिंह उनकी शर्त को नजरअंदाज कर दिया। ऐसा माना जाता है की यहीं कारण है की यह शहर नष्ट हो गया।
भानगढ़ की भूतिया कहानियों में एक कहानी राजकुमारी रत्नावती से जुड़ी है। राजकुमारी रत्नावती बेहद ही खूबसूरत रानी थी। देश के शाही परिवारों से उनके चाहने वालों की संख्या भी बहुत थी। कहा जाता है कि रत्नावती को इत्र बहुत शौक था। अक्सर वो इसकी खोज में बाजार जाया करती थीं। एक बार की बात है जब राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ बाजार जाती हैं इत्र खरीदने के लिए। वहीं एक जादूगर की नजर राजकुमारी पर पड़ती है। राजकुमारी के रूप को देखकर जादूगर उन पर मोहित हो जाता है। जादूगर की दिवानगी इतनी बढ़ जाती है कि हर हाल में राजकुमारी को अपना बनाना चाहता था। फिर वो एक तरकीब निकालता है।
जादूगर राजकुमारी को एक ऐसा इत्र बेचता है जिसकी खुशबू तो बहुत अच्छी होती है लेकिन उसमें किसी के वश में हो जाने का प्रेम औषधि मिला होता है। जादूगर को लगता है राजकुमारी उसके प्यार में पागल हो जाएंगी। लेकिन राजकुमारी को किसी तरह इस बात की भनक लग जाती है और वह उस इत्र की शीशी को एक पत्थर पर फेंक देती हैं। इत्र जैसे ही उन पत्थकों पर गिरता है पत्थर जादूगर का नाम लेने लगते हैं और जादूगर का पीछा कर उस पर गिरने लगते हैं। फिर पत्थर से कुचलकर तांत्रिक की मृत्यु हो गई। मरने से पहले जादूगर ने राजकुमारी को श्राप दिया की शहर जल्द ही नष्ट हो जाएगा और इसके आस पास मौजूद कोई भी व्यक्ति जीवित नहीं बचेगा।। उस तांत्रिक के मौत के कुछ समय बाद मुघल सेना ने राज्य पर हमला कर दिया था, जिसमें राजकुमारी रत्नावती सहित किले के सभी लोगों की मौत हो गई।
आपको यह भी बता दे की भानगढ़ फोर्ट में सूरज ढलने के बाद जाना सख्त मना है। वहां के लोगों का मानना है कि महल की टूटी दिवारों पर कान लगाकर सुनेंगे तो वहां पर चिल्लाता तांत्रिक, मदद के लिए गुहार लगाती महिला और टूटती चूड़ियों की आवाज सुनाई देती है इसके साथ मारे गए लोगों के भूत आज भी रात को भानगढ़ के किले में घूमते हैं। कई लोग को उनकी आवाज भी सुनाई देती है।