India News (इंडिया न्यूज), Facts of Mahabharat: धार्मिक लेखों में किन्नरों की शादी के बारे में विस्तार से बताया गया है। आइए आपको बताते हैं किन्नरों की शादी के बारे में। किन्नरों की शादी के बारे में कहा जाता है कि वे सिर्फ एक दिन के लिए शादी करते हैं। वो भी अपने देवता के साथ। यह रिवाज महाभारत काल से चला आ रहा है। इसके लिए आपके लिए महाभारत के उस अध्याय के बारे में जानना जरूरी हो जाता है, जब अर्जुन को अपने बेटे की बलि देनी पड़ी थी।
महाभारत काल से जुड़ी कहानी
कहा जाता है कि किन्नर समाज में एक दिन की शादी का सदियों पुराना रिवाज आज भी चला आ रहा है। ऐसा कहा जाता है कि किन्नर एक रात के लिए शादी करते हैं और अगली सुबह विधवाओं की तरह विलाप करते हैं। अब आपको महाभारत काल से जुड़ी किन्नरों की देवता की कहानी के बारे में बताते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले पांडवों ने जीत के लिए मां काली की पूजा की थी।
इरावन बलि के लिए आए आगे
इस साधना को सफल बनाने के लिए राजकुमार की बलि देने को कहा गया। पूजा को सफल बनाने के लिए अर्जुन के पुत्र इरावन बलि के लिए आगे आए। उन्होंने शर्त रखी कि पहले वह विवाह करेंगे और फिर खुद की बलि देंगे। इरावन की शर्त सुनकर सभी हैरान रह गए कि कोई लड़की एक दिन के लिए इरावन से कैसे विवाह कर सकती है। भगवान श्री कृष्ण ने इस समस्या का समाधान निकाला। उन्होंने इरावन से विवाह करने के लिए मोहिनी का रूप धारण किया।
दी गई बलि
मोहिनी का रूप धारण कर श्री कृष्ण ने इरावन से विवाह किया और अगले दिन इरावन की बलि दे दी गई। श्री कृष्ण ने मोहिनी के रूप में इरावन की मृत्यु पर शोक भी जताया। इरावन को किन्नर अपना भगवान मानते हैं। इरावन की बलि के बाद से ही वे अपने भगवान (इरावन) से एक रात के लिए विवाह करते हैं और अगले दिन शोक भी मनाते हैं। तमिलनाडु के कूवगम में हर साल किन्नरों का विवाह उत्सव मनाया जाता है।
यह उत्सव तमिल नववर्ष की पहली पूर्णिमा से 18 दिनों तक मनाया जाता है। उत्सव के 17वें दिन किन्नरों की शादी होती है। वे दुल्हन की तरह सजती हैं और किन्नर पुजारी उन्हें मंगलसूत्र पहनाते हैं। शादी के अगले दिन भगवान इरावन की मूर्ति को पूरे शहर में घुमाया जाता है। और कुछ दूर जाने के बाद उसे तोड़ दिया जाता है। मूर्ति टूटने के बाद किन्नर विधवाओं की तरह विलाप करते हैं।
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