India News (इंडिया न्यूज), Gandhari and Duryodhan: इस युग कोई भी हो, मां और बच्चे का रिश्ता अटूट रहा है। एक मां हमेशा चाहती है कि उसका बच्चा हर विपत्ति से दूर रहे। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण द्वापर युग में हुई महाभारत में देखने को मिलता है। लॉकडाउन के दौरान चल रही महाभारत में आपने कई ऐसी घटनाएं देखी होंगी, जिन्हें देखने के बाद मन में कई तरह के सवाल आए होंगे। ऐसी ही एक घटना है जब गांधारी ने दुर्योधन को नग्न देखने की बात कही थी। आइए जानते हैं कि आखिर क्या वजह थी कि वह अपने युवा बेटे को इस रूप में देखना चाहती थीं?

गांधारी को शिव से मिला था अनोखा वरदान

गांधारी एक समर्पित पत्नी थी। अपने अंधे पति धृतराष्ट्र के प्रति उनकी भक्ति इतनी थी कि उन्होंने अपनी आँखों पर पट्टी भी बाँध ली थी। आपको बता दें कि गांधारी भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थीं। उनकी भक्ति और पूजा के कारण भगवान शिव ने उन्हें एक अद्भुत वरदान दिया था।

जब दुर्योधन को नग्न अवस्था में बुलाया

एक कथा है कि भोलेनाथ द्वारा दिए गए वरदान के अनुसार गांधारी अपनी आंखों से पट्टी हटाकर जिस किसी की ओर देखती थी, उसका शरीर व्रज के समान हो जाता था। यही कारण था कि उसने कभी अपनी आंखों से पट्टी नहीं हटाई। आमतौर पर गांधारी हमेशा अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर रखती थी। लेकिन जब महाभारत का युद्ध अपने अंतिम चरण में पहुंचा। कौरवों के महान योद्धा और गांधारी के 99 पुत्रों की मृत्यु हो गई, तब गांधारी के मन में अपने पुत्र के प्रति प्रेम जाग उठा और वह अपने पुत्र दुर्योधन की मृत्यु से भयभीत हो गई। ऐसे में उसने दुर्योधन को आदेश दिया कि वह गंगा में स्नान करके नग्न अवस्था में उसके पास आए।

श्री कृष्ण मुरारी ने दुर्योधन को क्या सिखाया

कथा के अनुसार, जब दुर्योधन अपनी मां गांधारी की सलाह पर गंगा स्नान करके लौट रहा था, तब गांधारी से मिलकर लौट रहे श्री कृष्ण ने दुर्योधन को देखा। सारे रहस्य जानने के बाद श्री कृष्ण ने दुर्योधन से कहा कि बचपन की बात ही अलग थी। अब वह जवान हो गया है, इस उम्र में इस तरह अपनी मां के सामने जाना अनुचित है। श्री कृष्ण जानते थे कि अगर दुर्योधन का शरीर वज्र जैसा हो गया, तो महाभारत का परिणाम कुछ और होगा। इसीलिए उन्होंने यह चाल चली।

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तो ये थी पत्ते पहनने की वजह

दुर्योधन को लगा कि श्री कृष्ण सही कह रहे हैं। तब उसने अपने कमर से नीचे के हिस्से को पत्तों से ढक लिया। इसके बाद वह मां गांधारी के पास पहुंचा। मां ने जैसे ही उसे देखा, उसका पूरा शरीर वज्र जैसा हो गया। लेकिन जो हिस्सा पत्तों से ढका था, वह सामान्य रहा। दुर्योधन की इस गलती पर गांधारी खूब रोई। लेकिन अब कुछ नहीं किया जा सकता था।

यही कारण था कि दुर्योधन की मृत्यु संभव हो सकी

महाभारत के अंतिम युद्ध में भीम ने दुर्योधन को चुनौती दी और उनके बीच गदा युद्ध हुआ। गदा युद्ध में दुर्योधन भीम पर भारी पड़ रहा था क्योंकि भीम के प्रहार का दुर्योधन पर कोई असर नहीं हो रहा था क्योंकि उसका शरीर वज्र के समान हो गया था। ऐसे में भगवान कृष्ण ने भीम से उसकी कमर पर वार करने को कहा और स्थिति बदल गई। युद्ध में दुर्योधन वीरगति को प्राप्त हुआ।

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