India News (इंडिया न्यूज), Bali Sugreev Story: झारखंड में रामायण काल ​​से जुड़ी कई चीजें हैं। इन्हीं में से एक है पालकोट में स्थित पंपापुर पर्वत, जिसका जिक्र कई ग्रंथों में भी मिलता है। पंपापुर राजा बाली और सुग्रीव की राजधानी थी। इस पर्वत पर मलमाली नाम की एक गुफा है जिसे सुग्रीव गुफा कहा जाता है। सुग्रीव इसी गुफा में छिपते थे। आइए आगे जानते हैं कि सुग्रीव गुफा में क्यों और किससे छिपते थे। दरअसल, आज जिसे पालकोट कहा जाता है उसका पहले नाम पंपापुर था। इसी पंपापुर में श्रीमुख पर्वत है जिसमें वानर राज सुग्रीव की गुफा है। सुग्रीव के भाई बाली इस पर्वत पर इसलिए नहीं आ सकते थे क्योंकि मतंग ऋषि ने उन्हें श्राप दिया था कि अगर उन्होंने इस पर्वत पर पैर भी रखा तो वे जलकर भस्म हो जाएंगे।

राम ने की थी सुग्रीव की मदद

कहते हैं कि जब भगवान राम माता सीता की खोज में निकले थे, तो वे लक्ष्मण के साथ कई दिनों तक यहां रुके थे। इस दौरान भगवान हनुमान के जरिए सुग्रीव और राम की मुलाकात हुई थी। इसके बाद सुग्रीव ने राम को अपने भाई बाली के बारे में बताया कि कैसे बाली लगातार उन्हें मारने की कोशिश करता है। इसके बाद राम ने बाली का वध कर सुग्रीव को उसका राज्य वापस दिलाया। बाली का वध करने के बाद राम ने स्नान करने के लिए पहाड़ की चोटी पर अपने बाणों से पानी निकाला, जो एक तालाब बन गया। उसी समय एक कुआं भी बनवाया गया था। यह आज भी पहाड़ की चोटी पर है।

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इसी पहाड़ पर था शबरी का आश्रम

यह भी कहा जाता है कि शबरी का आश्रम भी इसी पहाड़ पर था और त्रेता युग के सैकड़ों ऋषियों और ऋषियों की कुटिया भी यहीं थीं। इस पहाड़ पर त्रेता युग के समय का एक मंदिर, तालाब और कुआं आज भी मौजूद है। इस मंदिर में एक शंख रखा हुआ है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह मतंग ऋषि का शंख है। पहाड़ पर एक झरना है। इस पहाड़ पर एक झरना है। इसकी खासियत यह है कि भीषण गर्मी में भी यहां का पानी कभी नहीं सूखता। यहां पानी के बीच में एक शिवलिंग भी है। इस झरने में पानी कहां से आता है यह आज भी रहस्य है। इस झरने के पानी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह जितना गर्म होता है इसका पानी उतना ही ठंडा हो जाता है। ठंड के दिनों में पानी गर्म रहता है।

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