India News (इंडिया न्यूज़), Dharm: हिंदू धर्म के अलावा दुनियाभर के तमाम धर्मों में प्रार्थना करते समय सिर को ढकाने की एक परंपरा है। आपने अक्सार मंदिरोंं और गुरुद्वारों में महिलाओं को सिर ढकते हुए पूजा-अर्चना या प्रार्थना करते देखा होगा। महिलाओं के अलावा पुरुष भी लगभग सभी धर्मों में इस परंपरा को अनुसरण करते है। लोगों का इस विषय पर ये भी मानना होगा कि सिर को ढंकना महान ईश्वर के सामने मर्यादा और सम्मान का प्रतिक है। लेकिन ये भी सच है कि लगातार चले आ रहे इस परंपरा के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैे।

  • सिर ढंकने की हिंदू धर्म में परंपरा
  • ईश्वर के सामने मर्यादा के लिए ढंकते है सिर

हिंदू धर्म की बात करें तो  किसी भी देवी- देवता के मंदिर में प्रवेश, भगवान के दर्शन, घर में पूजा-पाठ या आरती करते समय अक्सर सिर को ढका जाता है। इसके अलावा भी रक्षा बंधन के समय बहन राखी बांधते समय सिर को ढक लेती हैं। धर्मिक मान्यता के अनुसार बजरंग बली या शनिदेव के मंदिर में प्रवेश के समय सिर  विशेषतौर पर ढंकना जरुरी होता हैं।  इसके अलावा शिव और माता काली के दर्शन के समय भी सिर ढंकना अनिवार्य है। कहते है कि इससे भगवान के सामने मर्यादा बनी रहती है और नकारात्मक विचार दूर रहते हैं।

जानें सिर ढंकने के महत्व

  • सिर ढंकने से ध्यान और एकाग्रता में काफी वृद्धि होती है।
  • ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। वहीं, सकारात्मक ऊर्जा शरीर में बनी रहती है।
  • पूजा के समय पुरुषों द्वारा भी सिर ढकने की मान्यता है। इससे पूजा के समय श्रृद्धा बड़ती है।
  • मान्यता है कि सिर के मध्य में एक चक्र होता है। सिर ढकते हुए पूजा करने से यह चक्र सक्रिय हो जाता है।
  • मान्यता ये भी है कि आकाशीय विद्युतीय तरंगे खुले सिर वाले व्यक्तियों के भीतर प्रवेश कर क्रोध, सिर दर्द आदि कई प्रकार के रोगों को सामने आती है।
  • इसके अलावा सफाई के नजरिए से भी ये सही माना जाता है। सिर के बालों में रोग फैलाने वाले कीटाणु सरलता से संपर्क में आते हैं, क्योंकि में चुम्बकीय शक्ति होती है।

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