India News (इंडिया न्यूज), Jaya Kishori: हमारे समाज में कई परंपराएँ और मान्यताएँ हैं, जिनमें से कुछ वैज्ञानिक तर्कों पर आधारित हैं तो कुछ समय के साथ अंधविश्वास का रूप ले चुकी हैं। ऐसी ही एक प्रचलित मान्यता है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अचार छूने से मना किया जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि अचार खराब हो सकता है। हालांकि, इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। जानी-मानी मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने हाल ही में इस विषय पर अपनी राय व्यक्त की, जो आज के समय में बहुत प्रासंगिक है।

ऐतिहासिक और सामाजिक पृष्ठभूमि

जया किशोरी के अनुसार, इस प्रकार की मान्यताएँ उस समय से प्रचलित हैं जब स्वच्छता के आधुनिक उपकरण और साधन उपलब्ध नहीं थे। उस समय मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को रसोई और अन्य घरेलू कार्यों से दूर रखा जाता था, ताकि उनकी देखभाल हो सके और वे आराम कर सकें। इस व्यवस्था का उद्देश्य महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखना था। इसके अलावा, मासिक धर्म के दौरान खून की गंध के कारण जंगली जानवरों का खतरा भी रहता था। इसलिए महिलाओं को घर के अंदर सीमित रहने की सलाह दी जाती थी।

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अचार छूने का निषेध: अंधविश्वास का बढ़ता दायरा

समय के साथ इन परंपराओं को गलत तरीके से व्याख्यायित किया जाने लगा। महिलाओं को “अशुद्ध” मानते हुए उनसे अचार और अन्य खाद्य सामग्रियों को दूर रखा जाने लगा। यह धारणा पूरी तरह से अंधविश्वास पर आधारित है, क्योंकि अचार खराब होने का कारण पर्यावरणीय परिस्थितियाँ, जैसे नमी, तापमान और स्वच्छता की कमी, हो सकती हैं। इसका महिलाओं के मासिक धर्म से कोई संबंध नहीं है।

आधुनिक युग में बदलती सोच

आज के युग में, जब स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है, ऐसी मान्यताओं को बनाए रखना न केवल तर्कहीन है, बल्कि यह महिलाओं के प्रति भेदभाव को भी दर्शाता है। मासिक धर्म एक प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया है, जिसे शर्मिंदगी या “अशुद्धता” के दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए। जया किशोरी ने इस विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि पुरानी परंपराओं को आज के आधुनिक संदर्भ में जांचने और उन्हें सुधारने की आवश्यकता है।

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महिलाओं के अधिकार और स्वाभिमान

मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना महिलाओं के स्वाभिमान और समानता के लिए आवश्यक है। यह केवल व्यक्तिगत स्वच्छता का विषय है, और महिलाओं को उनके मासिक धर्म के दौरान किसी भी प्रकार के कार्य से वंचित करना या उन्हें “अशुद्ध” मानना पूरी तरह अनुचित है। जया किशोरी ने यह भी कहा कि इन पुराने नियमों का अनावश्यक रूप से पालन करना केवल अंधविश्वास को बढ़ावा देता है और इसे रोकने के लिए समाज को जागरूक होना चाहिए।

मासिक धर्म से जुड़े मिथकों को तोड़ना और सही जानकारी फैलाना हमारे समाज के विकास के लिए अनिवार्य है। महिलाओं को इन दिनों में भी समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए। अचार खराब होने जैसी भ्रांतियाँ केवल पुरानी परंपराओं का अंधानुकरण हैं, जिनका आज के वैज्ञानिक युग में कोई स्थान नहीं है। हमें इन मुद्दों पर खुलकर बात करनी चाहिए और समाज में फैले अंधविश्वास को खत्म करने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।

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