India News (इंडिया न्यूज), Dussehra 2024: नवरात्री के दसवें और आखिरी दिन दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन रावण दहन और शस्त्र पूजा की जाती है। इसके अलावा कई अन्य परंपराओं का भी पालन किया जाता है। दरअसल, इसी दिन भगवन राम ने रावण का वध किया था और माता सीता को लंका से आजाद कराया था। इसके अलावा देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इसी उपलक्ष्य में दसवें दिन को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।
क्यों खाई जाती है जलेबी?
बता दें कि, दशहरे का त्योहार जलेबी के बिना अधूरा माना जाता है। दशहरे के दिन लोग घर पर स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं, लेकिन इसके अलावा रावण दहन के बाद जलेबी खाई जाती है। दरअसल, दशहरे पर जलेबी खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन क्या किसी ने सोचा है कि इस दिन सिर्फ जलेबी ही क्यों खाई जाती है? पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री राम को शशकुली नामक मिठाई बहुत पसंद थी। आज के दौर में उस मिठाई को जलेबी के नाम से जाना जाता है। भगवान राम ने रावण पर अपनी जीत का जश्न इसी मिठाई को खाकर मनाया था।
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कैसे शुरू हुई परंपरा?
भगवान राम द्वारा जलेबी खाकर जश्न मनाने के बाद दशहरे पर जलेबी खाने की परंपरा शुरू हुई। यही वजह है कि रावण दहन के बाद लोग जलेबी खाकर भगवान राम की जीत का जश्न मनाते हैं। इसके अलावा पान और फाफड़ा खाने की भी परंपरा है। रावण दहन के बाद लोग एक-दूसरे को पान खिलाते हैं और गले मिलते हैं। साथ ही कई जगहों पर लोग जलेबी के साथ फाफड़ा खाकर भी जश्न मनाते हैं।
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