India News (इंडिया न्यूज), Early Signs Of Death: भगवद्गीता में साफ बताया गया है कि इस दुनिया में जिसने भी जन्म लिया है, उसकी मृत्यु होनी ही है। यह एक ऐसा सत्य है, जिसे कोई भी मनुष्य झुटला नहीं सकता। भारतीय शास्त्रों और पुराणों में भी इस बात के बारे में बताया गया है कि जब व्यक्ति की मृत्यु का समय पास आता है, तो उसके शरीर में कुछ विशेष प्रकार की गतिविधियां शुरू हो जाती हैं। ये संकेत नाभि चक्र से शुरू होते हैं, जिसे शरीर का केंद्र माना जाता है। जन्म के समय शरीर का निर्माण भी यहीं से शुरू होता है और अंत के समय भी जीवन की डोर यहीं से धीरे-धीरे छूटने लगती है। शिवपुराण के अनुसार, मृत्यु से पहले शरीर में होने वाले बदलावों को समझा जा सकता है। ये संकेत कुछ महीने पहले से शुरू होते हैं और धीरे-धीरे शरीर और मन पर इसका असर स्पष्ट होने लगता है। ये संकेत व्यक्ति के जीवन के अंत की ओर इशारा करते हैं और इन्हें ध्यान से देखकर पहचाना जा सकता है।

मौत से पहले इंसान का बदलने लगता है रंग

शास्त्रों में इस बात का साफ उल्लेख मिलता है कि मृत्यु से पहले व्यक्ति की आंखें, जीभ, कान, नाक और मुंह पत्थर की तरह कठोर और निष्क्रिय हो जाते हैं। ये अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं, जो इस बात का संकेत है कि शरीर अब अपने अंतिम चरण की तरफ बढ़ रहा है। साथ ही व्यक्ति की त्वचा का रंग भी बदलने लगता है। इंसान कभी पीला तो कभी नीला दिखाई देने लगता है। कुछ मामलों में शरीर पर लाल धब्बे दिखाई देने लगते हैं, जिन्हें मृत्यु के निकट होने का संकेत माना जाता है।

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मौत से पहले परछाई न दिखने का क्या है रहस्य?

समुद्र शास्त्र के अनुसार, जब आत्मा शरीर छोड़ने की तैयारी करने लगती है, तो व्यक्ति को अपनी परछाई दिखाई देना बंद हो जाती है। इसे वैज्ञानिक रूप से भले ही न समझा जाए, लेकिन परंपराओं में इसे इस बात का गहरा संकेत माना जाता है कि अब मृत्यु बहुत निकट है। परछाई तो बनती है, लेकिन मरने वाला व्यक्ति उसे देख नहीं पाता। इसके अलावा पुराणों में उल्लेख है कि जब यमराज आत्मा को लेने आते हैं, तो व्यक्ति की दृष्टि भी बदलने लगती है। उसे सूर्य, चंद्रमा और अग्नि का प्रकाश धुंधला दिखाई देने लगता है। मृत्यु से कुछ दिन पहले व्यक्ति को ध्रुव तारा भी दिखाई देना बंद हो जाता है। रात्रि का आकाश उसे टिमटिमाते तारों से भरा हुआ दिखाई देता है, लेकिन स्थिर ध्रुव तारा गायब हो जाता है।

नाभि चक्र का क्या है मौत से कनेक्शन?

नाभि चक्र का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, मृत्यु के बाद भी प्राण ऊर्जा कुछ मिनटों तक नाभि में ही रहती है। ऐसा माना जाता है कि शरीर छोड़ने से पहले प्राण शक्ति लगभग 5 से 6 मिनट तक नाभि में ही रहती है, जिसके बाद शरीर धीरे-धीरे पूरी तरह शून्य हो जाता है। ये सभी संकेत यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि मृत्यु केवल एक शारीरिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत भी है। भारतीय ग्रंथों ने इस रहस्यमय यात्रा को प्रतीकों और संकेतों के माध्यम से समझाने की कोशिश की है, जिन्हें समझकर हम जीवन और मृत्यु की गहराइयों को थोड़ा बेहतर समझ सकते हैं।

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