India News (इंडिया न्यूज),Eid-Ul adha 2025: ईद की तरह ईद उल-अजहा (बकरीद) का भी इस्लाम में बहुत महत्व है। कुर्बानी के इस महत्वपूर्ण त्योहार को पूरी दुनिया में मुसलमान बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार यह जुल-हिज्जा या धुल-हिज्जा की 10 तारीख को मनाया जाता है। हर साल मक्का में इस्लामिक धर्मगुरु चांद देखकर इसका ऐलान करते हैं। इस साल ईद उल-अजहा तय हो गई है।

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सऊदी अरब के सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ईद उल-अजहा की तारीख का ऐलान किया। वहां मंगलवार को धुल-हिज्जा का चांद देखा गया, जिसे इस्लामिक कैलेंडर का दूसरा सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इसके बाद मक्का में इस्लामिक धर्मगुरुओं की घोषणा के बाद हज यात्रा की शुरुआत और ईद-उल-अजहा का ऐलान किया गया। इसके अनुसार हज यात्रा 4 जून से शुरू होगी, अरफा का दिन 5 जून को पड़ेगा और ईद-उल-अजहा 6 जून, 2025, शुक्रवार को मनाई जाएगी।

भारत में बकरीद कब है?

सऊदी के सुप्रीम कोर्ट के ऐलान के बाद वहां 6 जून 2025 को बकरीद का त्योहार मनाया जाएगा। इस हिसाब से भारत में ईद-उल-अजहा 7 जून को मनाया जाएगा। दरअसल, भारत में बकरीद की तारीख स्थानीय चांद दिखने पर आधारित होती है। और यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि भारत में जुल-हिज्जा का चांद किस तारीख को दिखाई देता है। हालांकि, ज्यादातर यह त्योहार भारत, पाक, बांग्लादेश जैसे देशों में सऊदी अरब में बकरीद मनाने के अगले दिन मनाया जाता है।

बकरीद क्यों मनाई जाती है?

इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, जब अल्लाह ने हजरत इब्राहिम से अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांगी। तब उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया। जब वह अल्लाह के आदेश का पालन करने वाले थे, तो अल्लाह ने उन्हें रोक दिया और बेटे की जगह भेड़ की कुर्बानी स्वीकार कर ली।

तभी से ईद-उल-अजहा पर जानवरों की कुर्बानी देने की परंपरा चली आ रही है, जो अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण और मानवता के लिए त्याग का प्रतीक बन गई है। इस्लामी कैलेंडर चांद के आधार पर चलता है, जिसके कारण हर साल हज और ईद-उल-अजहा की तारीख बदलती रहती है।

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