India News (इंडिया न्यूज़), Ekdant Sankashti Chaturthi: दुनिया की हर एक परेशानी से मिकलने के लिए भगवान का रास्ता काफी सुकून भरा माना जाता है। ईश्वर की पूजा कर मन को शांति मिलती है और एक उम्मीद भी वही भगवान की पूजा आराधना करना भी काफी महत्वपूर्ण है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि एकदंत संकष्टि चतुर्थी के बारे में कि वह कब आने वाली है।
कैसे शुरू हुई गणेश जी की पूजा
महादेव पुत्र गणेश कि पहले क्यों पूजा की जाती है? इसके पीछे का महत्व क्या है। तो कहानी के अनुसार बताया जाए तो कार्तिकेय और गणेश जी दो भाई थे। जिनको हमेशा कौन बड़ा है कि पीछे लड़ाई होती थी। ऐसे में उनके पिता भोलेनाथ ने उन्हें कहा कि तीन बार संसार की परिक्रमा कर सबसे पहले आएगा उसे सर्वश्रेष्ठ माना जाएगा। ऐसे में कार्तिकेय अपनी मोर पर सवार होकर तीन चक्कर करने के लिए निकल गए लेकिन गणेश वही रूके और अपने माता-पिता की तीन बार परिक्रमा की गणेश जी ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किया और देवी देवताओं को ही अपना पूरा संसार बताया, इसके बाद वह प्रतिस्पर्धा जीत गए।
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यह व्रत के लिए सही दिन और समय Ekdant Sankashti Chaturthi
हिंदू धर्म के अनुसार बताएं तो 26 मई ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सूर्योदय से प्रारंभ होकर सूर्यास्त तक एकदंत संकष्टि चतुर्थी का शुभ मुहूर्त है। इस दिन विधि विधान के साथ गणेश जी की पूजा आराधना करने से फल की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है उन्हें मोदक दूर्वा सुपारी और पान अदि को अर्पित किया जाता है। एकदंत संकष्टि चतुर्थी को सच्चे मन से भगवान गणेश जी की आराधना करने से सुख समृद्धि बुद्धि ज्ञान ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। Ekdant Sankashti Chaturthi
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ऐसे अर्पित करें मोदक, पीला वस्त्र
इस खास दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा करते हुए पीले वस्त्र और पीले मिठाई यानी की पीले मोदक फूल पान से पूजा करें इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से राहु दोष से भी निवारण मिलता है। साथ ही बता दे की 108 बार पीले चंदन लगाकर ओम गण गणपति नमः या श्री गणेशाय नमः मंत्र का जाप करने से संकट दूर होते हैं। वहीं विवाहित महिलाओं को पीले चंदन की जगह पर सदूंर लगाकर ये पूजा करनी चाहिए।