India News (इंडिया न्यूज), Facts About Kinnar Shav Yatra: हमारे समाज में किन्नरों को लेकर कई तरह की मान्यताएं और विश्वास हैं, जो समय-समय पर चर्चा का विषय बनती हैं। एक आम मान्यता यह है कि किन्नरों का शव खड़ा करके ही ले जाया जाता है, और इसे अशुभ माना जाता है। लोगों का कहना है कि ऐसा करने से किसी प्रकार का अशुभ प्रभाव पड़ता है, लेकिन क्या यह सच है? इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर किन्नरों के शव को खड़ा करके क्यों ले जाया जाता है और इसके पीछे की असल वजह क्या है।
किन्नरों का समाज और संस्कृति
किन्नर, जिन्हें हम अक्सर “हिजड़ा” या “अरावणी” के नाम से भी जानते हैं, भारतीय समाज का एक अभिन्न हिस्सा रहे हैं। हालांकि उन्हें समाज में हमेशा से ही एक अलग नजर से देखा गया है, लेकिन उनके पास अपनी एक अलग संस्कृति, परंपराएं और मान्यताएं हैं। किन्नरों को उनके विशिष्ट गुणों और उनकी सामाजिक भूमिका के लिए जाना जाता है। खासकर जब किसी के घर में शादी या खुशी का अवसर होता है, किन्नरों को आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित किया जाता है, और उनके आशीर्वाद को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
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किन्नरों की अपनी अलग परंपराएं और रीति-रिवाज होते हैं, जो उनके सांस्कृतिक और धार्मिक विश्वासों से जुड़े होते हैं। यही कारण है कि उनके शव के साथ भी कुछ अलग रीति-रिवाज अपनाए जाते हैं।
किन्नरों के शव को खड़ा करके ले जाने की परंपरा
किन्नरों के शव को खड़ा करके ले जाने की परंपरा का इतिहास और कारण आज भी अस्पष्ट है। हालांकि, यह माना जाता है कि इस परंपरा के पीछे कुछ धार्मिक और सांस्कृतिक विश्वास हैं। कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हो सकते हैं:
किन्नरों का अनोखा स्थान:
समाज में किन्नरों को एक विशेष स्थान दिया जाता है। उनका जन्म और जीवन दोनों ही समाज के सामान्य लोगों से अलग होते हैं, और वे अपने आप में एक रहस्यमय और अद्वितीय समुदाय हैं। किन्नरों को देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और इस कारण उनकी मृत्यु के समय भी कुछ खास आदतों का पालन किया जाता है। किन्नरों के शव को खड़ा करके ले जाने का उद्देश्य यह है कि वे अपने जीवन में हमेशा सक्रिय रहे हैं, और उनकी मृत्यु के बाद भी उनका अस्तित्व एक तरह से कायम रहे।
पुनर्जन्म का विश्वास:
किन्नरों के बारे में यह माना जाता है कि वे पुनर्जन्म में विश्वास रखते हैं। खड़ा करके शव ले जाने की प्रक्रिया से यह प्रतीत होता है कि किन्नर का शरीर जीवन के एक नए चरण की ओर बढ़ रहा है। यह मान्यता है कि मृत शरीर का खड़ा होना, पुनः जीवन की ओर बढ़ने का संकेत देता है।
समाज की ओर संदेश:
किन्नरों का शव खड़ा करके ले जाना समाज को यह संदेश देता है कि किन्नरों का जीवन केवल मृत्यु में ही समाप्त नहीं होता। उनका अस्तित्व, उनके कार्य और उनका प्रभाव समाज पर हमेशा बना रहता है। यह एक प्रतीक है कि मृत्यु के बाद भी उनकी आत्मा और आशीर्वाद समाज में रहते हैं।
अशुभता का डर या समाजिक आस्थाएँ:
कुछ लोग मानते हैं कि किन्नरों का शव खड़ा करके ले जाने से कोई अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता। हालांकि यह एक सामान्य सामाजिक विश्वास है कि शव को ले जाने का तरीका अशुभ या शुभ हो सकता है, लेकिन इसके पीछे कोई ठोस धार्मिक या वैज्ञानिक कारण नहीं है। यह बस एक परंपरा और विश्वास का हिस्सा है, जिसे समाज में एक आदत के रूप में देखा जाता है।
असल सच: परंपरा या विश्वास?
हकीकत यह है कि किन्नरों के शव को खड़ा करके ले जाने के पीछे कोई निश्चित धार्मिक या वैज्ञानिक कारण नहीं है। यह एक सांस्कृतिक परंपरा है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है। इस परंपरा का उद्देश्य किन्नरों के प्रति सम्मान और उनके समाज में विशेष स्थान को बनाए रखना है। यह परंपरा समाज के अन्य हिस्सों के लिए भी एक शिक्षा हो सकती है कि किन्नरों का जीवन भी उतना ही महत्वपूर्ण और सम्मानजनक है जितना किसी और का।
किन्नरों के शव को खड़ा करके ले जाने का कारण सांस्कृतिक और धार्मिक विश्वासों से जुड़ा हुआ है, और यह एक पुरानी परंपरा का हिस्सा है। यह न केवल किन्नरों के प्रति समाज का सम्मान और आस्था दिखाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि मृत्यु के बाद भी उनका प्रभाव और अस्तित्व समाज में बना रहता है। इस परंपरा को अशुभ मानने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक विश्वास है जिसे समाज ने अपनाया है।
इसलिए, हमें किन्नरों और उनके रीति-रिवाजों के प्रति सम्मान और समझदारी से पेश आना चाहिए, और उन्हें भी समाज का एक अभिन्न हिस्सा मानना चाहिए।