India News (इंडिया न्यूज), Death Mystery: मृत्यु जीवन का एक ऐसा सत्य जिससे हर एक को एक न एक दिन तो रूबरू होना ही हैं, लेकिन कई बार हम ये मन्ना ही नहीं चाहते हैं कि अब हमारा जीवन का ये सफर खत्म होने वाला हैं या शायद हमारा दिमाग ही हमें ये न मान्ने की सलाह या जिद पर अड़े रहने देता हैं लेकिन सच तो यही हैं कि जो भी व्यक्ति इस धरती पर आया हैं उसे यहां से एक न एक दिन तो जाना ही हैं। आध्यात्मिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा और शरीर के बीच का संबंध कैसे समाप्त होता है, इस पर विभिन्न विचारधाराएँ हैं।
हिंदू धर्म:
हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि आत्मा (आत्मा) मृत्यु के बाद शरीर को छोड़ देती है, लेकिन यह प्रक्रिया तुरंत पूरी नहीं होती। मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा और शरीर से अलग होने की प्रक्रिया कुछ समय ले सकती है। इस दौरान, शरीर में कुछ समय तक चेतना के अवशेष रहते हैं। कई धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं में कहा गया है कि आत्मा को शरीर छोड़ने के बाद पितरों के पास जाने या अगले जीवन के लिए पुनर्जन्म के लिए कुछ समय लगता है।
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बौद्ध धर्म:
बौद्ध धर्म में भी आत्मा की स्थिरता को लेकर अलग-अलग विचार हैं। यहां आत्मा को स्थायी नहीं माना जाता, बल्कि “अंतरात्मा” (अंतरात्मा) की अवधारणा है। मृत्यु के बाद, व्यक्ति की चेतना एक नई स्थिति में प्रवेश करती है और यह प्रक्रिया कुछ समय ले सकती है।
इस्लाम:
इस्लाम में माना जाता है कि मृत्यु के समय आत्मा शरीर को छोड़ देती है और इसके बाद आत्मा की स्थिति की जांच होती है। मरने के बाद आत्मा को तुरंत उपयुक्त स्थान पर ले जाया जाता है और यह प्रक्रिया शरीर से तुरंत जुड़ी रहती है।
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ईसाई धर्म:
ईसाई धर्म में यह मान्यता है कि मृत्यु के बाद आत्मा तुरंत ईश्वर के पास जाती है या स्वर्ग और नरक की ओर जाती है, और शरीर को अंतिम संस्कार के लिए छोड़ा जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, आत्मा और शरीर के बीच कोई भौतिक या मापनीय संबंध नहीं होता है, इसलिए यह कहना कि आत्मा कितने घंटों तक शरीर से जुड़ी रहती है, वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर नहीं कहा जा सकता।
धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं में मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा की अवधारणा पर विभिन्न दृष्टिकोण हो सकते हैं, और ये व्यक्तिगत विश्वास और सांस्कृतिक परंपराओं पर निर्भर करते हैं।
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