India News (इंडिया न्यूज), Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने के साथ ही व्रत रखने का भी विधान है। कृष्ण और शुक्ल पक्ष में आने वाली गणेश चतुर्थी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है और इसका अलग-अलग महत्व भी होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस दिन गणपति जी की विधिवत पूजा करने से हर दुख से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि।
क्या है मुहूर्त
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 2024 तिथि मार्गशीर्ष चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 18 नवंबर को शाम 6:55 बजे मार्गशीर्ष चतुर्थी तिथि समाप्त- 19 नवंबर को शाम 5:28 बजे गणधिप संकष्टी चतुर्थी 2024 तिथि- 18 नवंबर 2024 गणपति पूजा का समय (गणेश जी पूजा) सुबह का मुहूर्त समय- 09.26 – 10.46 प्रातः सायं शुभ मुहूर्त – 05.26 – 07.06 सायं
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 2024 पर बन रहे हैं शुभ योग
मार्गशीर्ष मास की संकष्टी चतुर्थी पर कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है। दोनों शुभ योग सुबह 6:46 बजे से दोपहर 3:38 बजे तक रहने वाले हैं। इसके अलावा सिद्ध और साध्य योग भी बन रहे हैं।
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 2024 का चंद्र समय
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का चंद्रमा शाम 07.34 बजे उदय होगा। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है।
सौभाग्य सुंदरी तीज आज, अगर आप भी हैं मांगलिक, तो दोष खत्म करने के लिए जरूर करें ये व्रत!
गणपति संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
गणपति संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद साफ कपड़े पहनें, गणेश जी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। फिर तांबे के लोटे में सिंदूर, फूल आदि डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद गणेश जी की विधिवत पूजा करें। सबसे पहले गणेश जी का शुद्ध जल और पंचामृत से अभिषेक करें। इसके बाद भगवान गणेश को नए वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार आदि अर्पित करें। फिर चंदन, सिंदूर, फूल, माला, अक्षत आदि लगाकर मोदक, लड्डू, मौसमी फल आदि चढ़ाएं, घी का दीपक और धूप जलाएं। इसके बाद गणेश चालीसा, स्तोत्र, संकष्टी व्रत कथा, गणेश मंत्र का पाठ करने के बाद अंत में गणेश जी की आरती करें। फिर अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें। इसके बाद शाम को फिर से पूजा करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।