India News (इंडिया न्यूज़), Ganpati Bappa Temple: देशभर में गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जा रही है। जोधपुर शहर के किले के अंदर आड़ा बाजार जूनी मंडी में प्रथम पूज्य गणेशजी का एक अनोखा मंदिर है, जहां गणेश चतुर्थी ही नहीं बल्कि हर बुधवार शाम को मेले जैसा माहौल बना रहता है। जोधपुर के भीतरी क्षेत्र में स्थित यह मंदिर युवाओं में काफी माना जाता है। कहा जाता है की बप्पा उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। जोधपुर आने वाले पर्यटक भी यहां आना नहीं भूलते। मान्यता है कि यहां अगर कोई मनोकामना मांगी जाए तो बहुत जल्द रिश्ता तय हो जाता है और प्रेमियों की मनोकामना पूरी होती है।
- इश्किया गणेश पूरी करते हैं मनोकामना
- कैसे पड़ा नाम इश्किया गजानन?
आज का दिन कैसा रहेगा? इस राशि के लोगों को मिलेगी खुशखबरी, जानें अपना Rashifal
इश्किया गणेश पूरी करते हैं मनोकामना
लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अलग-अलग राज्यों में रहने वाले प्रेमी जोड़े जोधपुर आते हैं और इस मंदिर में एक पत्र पर अपनी मनोकामना लिखकर दानपेटी में डालकर चले जाते हैं। सौ साल से भी ज्यादा पुराने गुरु गणपति मंदिर की तुलना चार दशक पहले क्षेत्र के कुछ लोगों ने हथेलियों पर बनाए गए ‘इश्किया गजानन’ से की थी। इसलिए वे यहां आकर घंटों बैठते थे ताकि कोई उनसे कुछ न कहे। अब राजस्थान ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से भी लोग यहां अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं। अगर किसी प्रेमी जोड़े को प्यार में कोई परेशानी आती है तो यह ‘इश्किया गणेश’ उनकी मदद करते हैं।
मान्यता है कि जो भी यहां आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस मंदिर में युवा पुरुष और महिलाएं ज्यादा आते हैं और भगवान गणेश से अपने विवाह से जुड़ी मनोकामनाएं मांगते हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ युवा ही नहीं बल्कि बुजुर्ग लोग भी आते हैं और भगवान गणेश सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
बीवी नहीं, भगवान गणेश से माता लक्ष्मी का ये है रिश्ता, जवाब कर देगा शॉक
कैसे पड़ा नाम इश्किया गजानन?
बता दें की पहले गणेश जी के इस मंदिर को गुरु गणपति के नाम से जाना जाता था। स्थानीय लोगों के मुताबिक प्रेमी जोड़े शादी से पहले अपनी पहली मुलाकात के लिए इस मंदिर में आते थे। दरअसल, मंदिर एक संकरी गली के अंदर एक निजी मकान के मुख्य द्वार के सामने है। इस मंदिर को इस तरह से बनाया गया है कि इसके सामने खड़े लोग दूर से किसी को आसानी से दिखाई नहीं देते। यही वजह है कि हर बुधवार को यहां प्रेमी युगल इकट्ठा होते हैं। प्रेमियों के मुख्य मिलन स्थल होने के कारण इस मंदिर का नाम इश्किया गजानन मंदिर पड़ा।
पाकिस्तान में धर्म बदल रहे लोग? अब इतनी रह गई हिंदुओं की आबादी