India News (इंडिया न्यूज), Garun Puran: गरुण पुराण, हिंदू धर्म के 18 प्रमुख पुराणों में से एक, जीवन और मृत्यु के रहस्यों पर प्रकाश डालता है। इसमें मृत्यु से पहले और बाद की घटनाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। इस पवित्र ग्रंथ के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु निकट होती है, तो उसके शरीर में कुछ विशेष प्रकार की हलचलें होती हैं। ये संकेत न केवल मृत्यु की ओर इशारा करते हैं, बल्कि आत्मा के शरीर छोड़ने की प्रक्रिया को भी स्पष्ट करते हैं। आइए जानते हैं, गरुण पुराण में वर्णित वे तीन महत्वपूर्ण संकेत कौन-से हैं जो मृत्यु से ठीक एक घंटे पहले शरीर में देखने को मिलते हैं।
1. सांस की गति में असामान्यता
मौत से पहले व्यक्ति की सांस लेने की गति में स्पष्ट बदलाव आता है। सामान्य रूप से सांस की गति स्थिर रहती है, लेकिन मृत्यु के निकट यह या तो बहुत तेज हो जाती है या फिर बेहद धीमी। गरुण पुराण के अनुसार, यह आत्मा के शरीर छोड़ने की तैयारी का संकेत है। व्यक्ति को सांस लेने में अत्यधिक कठिनाई होने लगती है और उसका श्वास-प्रश्वास प्रणाली असंतुलित हो जाती है।
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2. शरीर का ठंडा होना
गरुण पुराण में बताया गया है कि मृत्यु से पहले व्यक्ति के शरीर का तापमान धीरे-धीरे कम होने लगता है। खासतौर पर हाथों और पैरों का ठंडा पड़ना आत्मा के शरीर छोड़ने की ओर इशारा करता है। शरीर का रक्त प्रवाह धीमा पड़ जाता है, जिससे शरीर के अंगों में ऊर्जा की कमी महसूस होती है। यह प्रक्रिया मृत्यु के पहले घंटे में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
3. आत्मचेतना का कमजोर होना
मौत से ठीक पहले व्यक्ति की आत्मचेतना कमजोर पड़ने लगती है। वह अपने आसपास के वातावरण को समझने और प्रतिक्रिया देने में असमर्थ हो जाता है। गरुण पुराण के अनुसार, यह आत्मा के शरीर से अलग होने की प्रक्रिया का हिस्सा है। व्यक्ति को अक्सर भ्रम या गहन मौन की स्थिति में देखा जाता है।
गरुण पुराण का महत्व
गरुण पुराण के इन विवरणों को समझने से हमें मृत्यु की प्रक्रिया को अधिक गहराई से जानने का अवसर मिलता है। यह हमें जीवन की अस्थिरता और आत्मा की अनंतता का बोध कराता है। इस ग्रंथ में यह भी बताया गया है कि मृत्यु के समय किए गए शुभ कर्म आत्मा की यात्रा को सरल और सुखद बनाते हैं।
मृत्यु के समय शरीर में होने वाली इन हलचलों को पहचानना न केवल हमें जीवन और मृत्यु के चक्र को समझने में मदद करता है, बल्कि हमें यह भी सिखाता है कि जीवन को कैसे अधिक सार्थक और धर्ममय बनाया जाए। गरुण पुराण में वर्णित यह ज्ञान आज भी प्रासंगिक है और हमें आत्मा की अनंत यात्रा की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करता है।