India News (इंडिया न्यूज),gift an idol of God or not: आजकल भगवान की मूर्ति या फोटो गिफ्ट करने का चलन बढ़ रहा है। लोग जन्मदिन, सालगिरह या किसी धार्मिक त्योहार पर एक-दूसरे को भगवान की मूर्ति गिफ्ट करना पसंद करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि किसी को भगवान की मूर्ति गिफ्ट करना सही है या गलत? इस बारे में हर किसी की राय अलग-अलग हो सकती है, लेकिन वृंदावन के प्रसिद्ध संत स्वामी प्रेमानंद महाराज ने अपने एक प्रवचन में इस पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। आइए जानते हैं कि प्रेमानंद महाराज किसी को भगवान की मूर्ति गिफ्ट करने के बारे में क्या सोचते हैं।
प्रेमानंद महाराज ने क्या कहा
मथुरा के वृंदावन में प्रवचन करने वाले प्रेमानंद महाराज ने हाल ही में बताया कि अगर कोई हमें भगवान की मूर्ति उपहार में दे तो हमें क्या करना चाहिए। जब एक भक्त प्रेमानंद महाराज से पूछता है, ‘कई लोग हमें भगवान की मूर्तियाँ उपहार में देते हैं। कई बार लोग हमें हमारे जन्मदिन पर भगवान की मूर्तियाँ या तस्वीरें उपहार में देते हैं। हम घर पर सिर्फ़ एक मूर्ति रख सकते हैं। ऐसा लगता है कि धीरे-धीरे हमारे पास 10-15 मूर्तियाँ हो गई हैं।
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मूर्तियों को उपहार में ले या नहीँ
इस पर जवाब देते हुए प्रेमानंद महाराज ने कहा, ‘मूर्तियों को उपहार में नहीं लेना चाहिए। हम यह मूर्ति किसे देंगे? अगर हम इसे किसी को दे भी रहे हैं, तो कौन जानता है कि वह कैसा व्यवहार करेगा।’ प्रेमानंद महाराज कहते हैं, ‘जब कोई मुझे उपहार देता है, तो मैं पूछता हूं कि इस उपहार में क्या है? हमारे घर में तो भगवान पहले से ही हैं। प्रेमानंद महाराज आगे कहते हैं, ‘भगवान की मूर्ति न तो किसी को उपहार में दें और न ही किसी से लें। अगर कोई दे रहा है, तो आपको उसका दर्शन करना चाहिए। उस मूर्ति से प्रार्थना करें और फिर उसे वापस कर दें। ठाकुर विराजमान का मतलब उनकी सेवा करना भी है। ऐसा नहीं है कि हमने मूर्ति घर में रखी है और वह धूल खा रही है।
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