India News (इंडिया न्यूज), Facts About Mahabharat: महाभारत काल की गाथाएं और घटनाएं आज भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। यह महाकाव्य न केवल धर्म और अधर्म के बीच युद्ध का प्रतीक है, बल्कि इसमें छिपे तथ्य और घटनाएं भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाते हैं। ऐसी ही एक घटना जुड़ी है हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित नगरकोट गांव के एक मंदिर से। यह मंदिर पांडवों द्वारा निर्मित है और इसे देवी दुर्गा के प्रति उनकी भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है।

पांडवों का सपना और मंदिर निर्माण

महाभारत के ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि एक रात पांडवों को स्वप्न में मां दुर्गा प्रकट हुईं। मां ने पांडवों से कहा कि यदि वे अपने और अपने वंशजों की सुरक्षा चाहते हैं, तो उन्हें नगरकोट गांव में एक मंदिर का निर्माण करना होगा। मां की आज्ञा का पालन करते हुए, उसी रात पांडवों ने मिलकर इस भव्य मंदिर का निर्माण किया। यह मंदिर आज भी हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नगरकोट गांव में स्थित है।

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शक्तिपीठ का महत्व

यह मंदिर केवल पांडवों की भक्ति का प्रतीक ही नहीं है, बल्कि इसका सीधा संबंध माता सती की पौराणिक कथा से भी है। जब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के 51 भाग किए, तब उनके अंग भारतवर्ष के विभिन्न स्थानों पर गिरे। कांगड़ा जिले में स्थित इस स्थान पर माता के स्तन गिरे थे, जिसके कारण यह स्थान शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हुआ। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि भारत के पौराणिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है।

भैरव बाबा की प्राचीन प्रतिमा

इस मंदिर में भैरव बाबा की एक विशेष प्रतिमा है, जिसे लगभग 5000 साल पुराना बताया जाता है। इस प्रतिमा को लेकर यहां के श्रद्धालुओं में गहरी मान्यता है। कहा जाता है कि जब भी इस प्रतिमा से आंसू गिरते हैं, तो इसे अपशगुन और किसी बड़ी आपदा का संकेत माना जाता है। स्थानीय पुजारी और लोग इस घटना को गंभीरता से लेते हैं और इसके पीछे छिपे संकेत को समझने की कोशिश करते हैं।

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धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

नगरकोट का यह मंदिर केवल पांडवों की आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह हमारे इतिहास, संस्कृति और धार्मिक विश्वासों का जीवंत प्रमाण है। यहां हर वर्ष हजारों श्रद्धालु माता दुर्गा और भैरव बाबा के दर्शन करने आते हैं। यह स्थान न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि महाभारत काल की स्मृतियों को भी जीवंत बनाए रखता है।

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित नगरकोट गांव का यह मंदिर पांडवों की भक्ति, महाभारत कालीन घटनाओं और भारतीय धार्मिक परंपराओं का अद्भुत संगम है। यह स्थान हमें यह समझने का अवसर देता है कि हमारी धार्मिक धरोहर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि हमारे इतिहास और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा भी है। ऐसे पवित्र स्थलों की महत्ता को समझना और इन्हें संजोकर रखना हमारी जिम्मेदारी है।

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