India News (इंडिया न्यूज), Hindu Beliefs: हिंदू धर्म में ग्रहों और नक्षत्रों का अत्यधिक महत्व है। इनके प्रभाव व्यक्ति के जीवन से लेकर देश-दुनिया पर भी पड़ते हैं। किसी भी व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा ग्रहों और नक्षत्रों से निर्धारित होती है। जन्म लेते ही ग्रह और नक्षत्र व्यक्ति के जीवन पर अपना प्रभाव डालते हैं। यही नहीं, वे पूर्व जन्म के कर्मों और आगामी जीवन के संकेत भी प्रदान करते हैं।

ग्रह और नक्षत्रों का परिचय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुल 9 ग्रह और 27 नक्षत्र होते हैं। इन नक्षत्रों का विवरण निम्नलिखित है:

  • अश्विनी
  • भरणी
  • कृत्तिका
  • रोहिणी
  • मृगशीर्ष
  • आर्द्रा
  • पुनर्वसू
  • पुष्य
  • आश्लेषा
  • मघा
  • पूर्वा फाल्गुनी
  • उत्तरा फाल्गुनी
  • हस्त
  • चित्रा
  • स्वाति
  • विशाखा
  • अनुराधा
  • ज्येष्ठा
  • मूल
  • पूर्वाषाढ़ा
  • उत्तराषाढ़ा
  • श्रवण
  • धनिष्ठा
  • शतभिषा
  • पूर्वा भाद्रपद
  • उत्तर भाद्रपद
  • रेवती

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6 विशेष नक्षत्र और उनकी पूजा का महत्व

ज्योतिष शास्त्र में यह कहा गया है कि 27 नक्षत्रों में से 6 नक्षत्र ऐसे हैं जिनमें जन्मे बच्चों के लिए विशेष पूजा-अर्चना आवश्यक होती है। ऐसा न करने पर न केवल बच्चे के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, बल्कि पूरे परिवार को भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ये 6 विशेष नक्षत्र हैं:

  1. अश्विनी
  2. भरणी
  3. कृत्तिका
  4. शतभिषा
  5. पूर्वा भाद्रपद
  6. उत्तर भाद्रपद

इन नक्षत्रों में जन्मे बच्चों के लिए पूजा क्यों आवश्यक है?

इन 6 नक्षत्रों में जन्म लेने वाले बच्चों को जीवन में विशेष चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। ज्योतिष के अनुसार, ये नक्षत्र उनके भाग्य, स्वास्थ्य और मानसिक शांति पर प्रभाव डाल सकते हैं। यदि इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले बच्चों के लिए उचित पूजा-अर्चना की जाती है, तो उनके जीवन में संतुलन और शुभता बनी रहती है।

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पूजा-अर्चना का तरीका

इन नक्षत्रों में जन्मे बच्चों के लिए ज्योतिषाचार्य या विद्वान पंडित से परामर्श लेकर विशेष पूजा करवानी चाहिए। पूजा की प्रक्रिया में निम्नलिखित बातें शामिल होती हैं:

  1. ग्रह शांति यज्ञ: बच्चे की कुंडली के अनुसार ग्रहों की शांति के लिए यज्ञ करवाया जाता है।
  2. नक्षत्र दोष निवारण: जिन नक्षत्रों का प्रभाव अशुभ हो सकता है, उनके लिए विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है।
  3. दान: पूजा के दौरान जरूरतमंदों को दान देना शुभ माना जाता है।
  4. आराधना: बच्चे की कुंडली में विशेष ग्रहों और देवताओं के लिए प्रार्थना की जाती है।

ग्रह और नक्षत्र हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित करते हैं। विशेष रूप से 6 नक्षत्र—अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद और उत्तर भाद्रपद—में जन्मे बच्चों के लिए पूजा-अर्चना करना अनिवार्य माना गया है। यह न केवल बच्चे के जीवन को कष्टों से बचाता है बल्कि परिवार की समृद्धि और शांति को भी सुनिश्चित करता है। ऐसे में ज्योतिष शास्त्र का पालन करते हुए इन नक्षत्रों में जन्मे बच्चों के लिए उचित पूजा-अर्चना जरूर करवानी चाहिए।

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