India News (इंडिया न्यूज), Holika Dahan 2025: होलिका दहन हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और इसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च को होगा, जिसका शुभ मुहूर्त रात 11:26 से मध्यरात्रि 12:48 तक रहेगा। यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

होलिका दहन से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, जिनका पालन आज भी लोक समाज में किया जाता है। इन परंपराओं का उद्देश्य परिवार में खुशहाली लाना और ग्रहों के शुभ प्रभाव को बनाए रखना है। ऐसी ही एक महत्वपूर्ण मान्यता है होलिका दहन के दिन रोटी न बनाने की। आइए, जानें इस परंपरा का महत्व और इसके पीछे छिपे कारण।

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क्यों नहीं बनती रोटी होलिका दहन के दिन?

 

1. पर्वों पर विशेष व्यंजन बनाने की परंपरा

भारतीय संस्कृति में यह मान्यता है कि किसी भी त्योहार पर घर में अन्न नहीं बनाया जाता, बल्कि विशेष व्यंजन तैयार किए जाते हैं। होलिका दहन के दिन और होली के अवसर पर भी रोटी बनाने की मनाही है। इस दिन गुजिया, दही भल्ले और अन्य पारंपरिक मिठाइयां बनाई जाती हैं। यह परंपरा त्योहार की विशेषता और उल्लास को बनाए रखने का एक तरीका है।

2. ज्योतिषीय दृष्टिकोण

होलिका दहन के दिन चंद्रमा पूर्णिमा के दायरे में होता है, और इस समय सूर्य की दशा और दिशा कमजोर रहती हैं। सूर्य और चंद्रमा, दोनों ही प्रमुख ग्रह हैं, जिनका प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र पर पड़ता है। अन्न, विशेषकर गेहूं, का संबंध सूर्य से होता है।

  • गेहूं और सूर्य का संबंध: रोटी गेहूं से बनती है, और गेहूं का सीधा संबंध सूर्य से है। इस दिन गेहूं से बनी रोटी सूर्य को मजबूत करती है, लेकिन ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, राहु का भी गेहूं पर प्रभाव रहता है। रोटी बनाने से राहु के दुष्प्रभाव का खतरा बढ़ सकता है।

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3. अग्नि दोष का भय

होलिका दहन अग्नि से जुड़ा पर्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, होलिका को अग्नि ने जलाया था। रोटी बनाने के लिए गेहूं के आटे को सीधे अग्नि के संपर्क में लाना अग्नि दोष का कारण बन सकता है। यह दोष घर में नकारात्मक ऊर्जा और अशुभता का प्रवेश कराता है।

होलिका दहन का महत्व

होलिका दहन न केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, बल्कि यह प्रकृति और ग्रहों के संतुलन को बनाए रखने का भी संदेश देता है। इस दिन पूजा-पाठ और परंपराओं का पालन करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

होलिका दहन से जुड़ी मान्यताएं और परंपराएं हमारे जीवन और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। रोटी न बनाने की परंपरा इन मान्यताओं और ज्योतिषीय कारणों से जुड़ी है। यह परंपरा हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक विश्वासों को समझने और उनका पालन करने का अवसर प्रदान करती है। त्योहारों पर बनाई जाने वाली विशेष मिठाइयां और पकवान न केवल हमारे जीवन में मिठास भरते हैं, बल्कि समाज में समरसता और आनंद का भी प्रसार करते हैं।

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