यमुना नदी का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथाओं में यमुना को देवी माना गया है, और उन्हें विभिन्न नामों से संबोधित किया गया है जैसे यामी, कनलिडी आदि। देवी यमुना सूर्य देव की पुत्री हैं और मृत्यु के देवता यम तथा न्याय के देवता शनि की बहन हैं। भगवान कृष्ण के साथ उनकी कथा विशेष रूप से प्रसिद्ध है, क्योंकि कहा जाता है कि वह भगवान कृष्ण की पत्नी थीं।
यमुना देवी भगवान विष्णु से विवाह करना चाहती थीं, और उनके लिए कई जन्मों तक तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने द्वापर युग में कृष्ण के रूप में अवतार लिया और उन्हें यमुना से विवाह करने का वरदान दिया।
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भगवान कृष्ण का जन्म और यमुना का आशीर्वाद
जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, तो कंस के भय से वासुदेव उन्हें गोकुल गांव में छोड़ने के लिए यमुना नदी पार करते हैं। यह दृश्य बहुत ही पवित्र और अद्भुत था। भारी बारिश और तूफान के बीच वासुदेव कृष्ण को टोकरी में रखकर नदी पार करने के लिए निकल पड़े। जब वासुदेव नदी पार कर रहे थे, तो यमुना नदी कृष्ण के चरणों को छूने के लिए अत्यधिक उत्सुक थी। भगवान कृष्ण ने कभी अपने चरण टोकरी से बाहर निकाले, तो कभी उन्हें फिर से टोकरी के अंदर कर लिया।
अंततः, यमुना नदी अपनी इच्छा शक्ति से कृष्ण के चरणों का स्पर्श करने में सफल हुई। इस घटना से यह प्रतीत होता है कि यमुना नदी का कृष्ण के प्रति विशेष प्रेम था और वह उनके आशीर्वाद की प्रतीक्षा कर रही थी।
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भगवान कृष्ण और यमुना का विवाह
एक और प्रसिद्ध पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण और अर्जुन शिकार के लिए वन में निकले थे। जब कृष्ण को प्यास लगी, तो वह जल की खोज में आगे बढ़े। कुछ समय बाद उन्हें एक सुंदर स्त्री दिखाई दी, जो ध्यानमग्न होकर भगवान विष्णु का नाम जप रही थी। भगवान कृष्ण ने जब उस स्त्री से परिचय मांगा, तो उसने भगवान विष्णु से मिलने की इच्छा व्यक्त की।
देवी यमुना ने कृष्ण से कहा कि वह यदि भगवान विष्णु से वरदान नहीं प्राप्त कर पाई, तो वह सदैव तपस्या करती रहेंगी। कृष्ण ने देवी यमुना को अपना परिचय दिया और उनसे विवाह किया। विवाह के पश्चात, कृष्ण ने देवी यमुना को आशीर्वाद दिया कि संसार भर में उनकी पूजा की जाएगी। कृष्ण ने कहा, “हे यमुना! आपकी तपस्या सम्पूर्ण मानव जाति के लिए प्रेरणादायी है, और मेरे भक्तों को आपका आशीर्वाद प्राप्त होगा।”
भगवान कृष्ण और यमुना नदी का विवाह न केवल एक पौराणिक कथा है, बल्कि यह हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण का भी प्रतीक है। यमुना नदी का सम्मान और भगवान कृष्ण के साथ उनका संबंध दर्शाता है कि देवी यमुना की तपस्या और भक्ति का कितना महत्व था। उनका विवाह धर्म, भक्ति और प्रेम का प्रतीक है, जो हमें जीवन में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
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