India News (इंडिया न्यूज),Krishna:सोमवार 26 (अगस्त) को पूरे देश में जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। इस दिन भक्त श्री कृष्ण के लिए व्रत रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जन्माष्टमी पर मध्य रात्रि में पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन मंदिरों और घरों को सजाया जाता है और श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी झांकियां लगाई जाती हैं। मान्यता है कि जन्माष्टमी पर विधि-विधान से पूजा करने से घर में सुख-शांति आती है और सफलता भी मिलती है। चलिए आपको श्री कृष्ण को लेकर कुछ खास जानकारी देते हैं।
कब हुआ था कुरुक्षेत्र युद्ध
कहा जाता है कि जब कृष्ण 89 वर्ष के थे तब महायुद्ध (कुरुक्षेत्र युद्ध) हुआ था। कुरुक्षेत्र युद्ध मृगशिरा शुक्ल एकादशी, ईसा पूर्व 3139 को शुरू हुआ था। यानी “8 दिसंबर 3139 ईसा पूर्व” और “25 दिसंबर, 3139 ईसा पूर्व” को समाप्त हुआ।
अलग जगहों पर अलग नाम से पूजे जाते हैं कृष्ण
मथुरा में भगवान कृष्ण कृष्ण कन्हैय्या के नाम से पूजे जाते हैं। वहीं ओडिशा में वह भगवान जगन्नाथ के नाम से जाने जाते हैं। महाराष्ट्र में भगवान कृष्ण विठोबा के नाम से जाने जाते हैं। राजस्थान में वह श्रीनाथ के नाम से जाने जाते हैं। गुजरात में द्वारकाधीश और रणछोड़ के नाम से जाने जाते हैं। केरल में गुरुवायुरप्पन के नाम से जाने जाते हैं।
कभी भी वृंदावन नहीं लौटे कृष्ण
कहा जाता है कि भगवान कृष्ण कभी भी वृंदावन नहीं लौटे। सिंधु राजा काल यवन के खतरे के कारण उन्हें मथुरा से द्वारका की ओर पलायन करना पड़ा। उन्होंने गोमांतक पहाड़ी (अब गोवा) पर ‘वैनाथेय’ जनजातियों की मदद से ‘जरासंध’ को हराया। उन्होंने द्वारका का पुनर्निर्माण किया।इसके बाद वे 16-18 वर्ष की आयु में अपनी स्कूली शिक्षा शुरू करने के लिए उज्जैन में संदीपनी के आश्रम चले गए।
भगवान कृष्ण ने अपने चचेरे भाइयों को इंद्रप्रस्थ और उनके राज्य की स्थापना में मदद की। उन्होंने द्रौपदी को चिर हरण से बचाया था। भगवान कृष्ण अपने चचेरे भाइयों के साथ उनके वनवास के दौरान खड़े रहे। उन्होने अपने चचेरे भाइयों को कुरुक्षेत्र युद्ध में जीत दिलाई।