India News (इंडिया न्यूज), Facts About Mahabharat: महाभारत के चौपाई प्रसंग में पांचों पांडवों के द्रौपदी के साथ विवाह का विशेष किया गया था। ये विवाह चौन्कीत्स्थ था क्योंकि पांचों के मध्य द्रौपदी के प्रति से कोई विवाद न हो। इस पावन के निम्न नारद मुनि की सलाह पर कींगा गए थे।
नारद मुनि के निर्देश में कुछ नियम निर्धारित कीं। इन नियमों को पांचों को कहीं के दौरान प्रचार की क्षमता में प्राप्त होना चाहिए।
क्या थे नियम?
- घरों की व्यवस्था: द्रौपदी एक वर्ष तक केवल के साथ एक पांडव के साथ रहेगी और बाकी भाई तक उस महल में प्रवेश नहीं करेंगे।
- मिलने की परीबंधता: जब द्रौपदी के साथ कोई चौपाई हो तो उस महल में दूसरे पांडव को प्रवेश नहीं करने की शर्त थी। अगर कोई भी भाई की स्वतंत्रता नहीं प्रचार की गई।
- नियमों का कड़क पालना: जो भी पांडव इन नियमों का लंघन करेगा, उसे दंड दी जायेगी।
अर्जुन के नियम की प्राक्रिया और वनवास्था
एक दिन अर्जुन को युधिष्ठिर के महल में जाना पड़ा। यह नियम की प्रोष्ठा के अनुसार की गई। तथा, अर्जुन को क्योंकि दंड के तौर वनवास्थ की सजा भोगनी पड़ी। उन्हें 1 वर्ष के लिए वन जाना पड़ा। इस चौपाई के मध्य, पांडव एक-दूसरे के प्रति एकता व्यवस्थापूर्ण रहे। चौन्कीत्स्थ नियमों के कड़क और कीन्ता प्रावास की भूमिका देती है।