India News (इंडिया न्यूज), Human Body Facts: जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उनकी अंतिम विदाई धर्म और परंपराओं के अनुसार की जाती है। हिंदू धर्म में शव को अग्नि को समर्पित कर अंतिम संस्कार किया जाता है। आमतौर पर यह माना जाता है कि शरीर जलने के बाद पूरी तरह राख में बदल जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शरीर का एक हिस्सा ऐसा भी है, जो चिता की आग में भी पूरी तरह नष्ट नहीं होता?

इंसानी शरीर में ऐसा क्या है जो आग में नहीं जलता?

इंसानी शरीर के लगभग सभी हिस्से जलने के बाद राख में बदल जाते हैं, लेकिन दांत ऐसा अंग है, जो आग में भी पूरी तरह नष्ट नहीं होता। इसकी कठोर संरचना और तामचीनी परत इसे अग्नि से बचाने में मदद करती है।

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कैसे जलता है इंसानी शरीर?

मानव शरीर सॉफ्ट और हार्ड टिशूज़ से बना होता है। जब शरीर जलता है, तो पहले त्वचा सिकुड़ती और फटती है। इसके बाद शरीर की चर्बी और मांसपेशियां जलकर समाप्त हो जाती हैं। आग की तीव्रता के कारण शरीर में कई तरह के भौतिक और रासायनिक बदलाव होते हैं, जिससे हड्डियां भी प्रभावित होती हैं।

शरीर के अंगों के जलने की प्रक्रिया

शरीर में अंगों के जलने की प्रक्रिया उनकी संरचना और उनमें मौजूद चर्बी और ऊत्तकों पर निर्भर करती है। अधिक चर्बी वाले हिस्से तीव्रता से जलते हैं, जबकि हड्डियां और अन्य कठोर संरचनाएं धीरे-धीरे जलती हैं। हालांकि, शरीर के कुछ हिस्से, जैसे हाथ और पैर की हड्डियां, अन्य अंगों की तुलना में आग के प्रति अधिक प्रतिरोधी होती हैं।

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दांत क्यों नहीं जलते?

दांतों की संरचना उन्हें आग से बचाने में मदद करती है। दांतों की सबसे कठोर परत – तामचीनी (Enamel) – अत्यधिक प्रतिरोधी होती है। जब चिता जलती है, तो दांतों के नरम ऊतक जल जाते हैं, लेकिन तामचीनी और दांत की आंतरिक संरचना आग से सुरक्षित रहती है। यही कारण है कि अंतिम संस्कार के बाद चिता की राख में हड्डियों के साथ दांत भी पाए जाते हैं।

नाखूनों के बारे में क्या?

बहुत से लोगों का मानना है कि नाखून भी आग में नहीं जलते। लेकिन यह सही नहीं है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो नाखून प्रोटीन (Keratin) से बने होते हैं, जो जलने पर पूरी तरह राख में बदल जाते हैं। यदि आप नाखून का छोटा टुकड़ा जलाकर देखेंगे, तो वह पूरी तरह नष्ट हो जाएगा। इसलिए यह कहना गलत होगा कि नाखून आग में नहीं जलते।

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कंकाल और हड्डियों का क्या होता है?

जब शरीर जलता है, तो हड्डियां भी पूरी तरह राख में परिवर्तित नहीं होतीं। यहां तक कि आधुनिक शवदाह गृहों में भी हड्डियां पूरी तरह नहीं जलतीं। जलने के बाद जो अवशेष बचते हैं, उन्हें विशेष प्रक्रिया के तहत पीसा जाता है। इसके बाद अस्थियों का विसर्जन किया जाता है।

मानव शरीर के अंगों के जलने की प्रक्रिया उनके ऊत्तकों और संरचना पर निर्भर करती है। जहां शरीर के अधिकांश हिस्से जलकर राख में बदल जाते हैं, वहीं दांत अपनी कठोर संरचना के कारण आग से बच जाते हैं। यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण न केवल हमें मानव शरीर की जटिलताओं को समझने में मदद करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि परंपराओं और विज्ञान के बीच गहरा संबंध है।

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