India News (इंडिया न्यूज), IITian Baba In Maha Kumbh 2025: महाकुंभ 2025 में इस बार एक विशेष नाम काफी चर्चा में है—आईआईटी बाबा अभय सिंह। उनकी अघोर साधना और उनके जीवन से जुड़ी अनोखी कहानियां सोशल मीडिया और मीडिया में तेजी से वायरल हो रही हैं। जूना अखाड़ा के शिविर में मौजूद अभय सिंह को देखने के लिए श्रद्धालुओं और मीडियाकर्मियों की भीड़ उमड़ रही है। आइए जानते हैं उनके जीवन और अघोर साधना से जुड़ी कुछ हैरान कर देने वाली बातें।
अघोर साधना का अनुभव
आईआईटी बाबा अभय सिंह ने खुलासा किया है कि उन्होंने अघोर साधना की है। उन्होंने बताया कि इस साधना के दौरान उनका मार्गदर्शन एक अघोरी ने किया, जिसका नाम चिंतायन बाबा था। चिंतायन बाबा दक्षिण भारत के साधक थे। अघोरी ने उन्हें एक नया नाम दिया—”मसानी गोरख”। उन्होंने यह भी कहा, “इतिहास लिखा जा रहा है,” जब उन्होंने आईआईटी बाबा को माला दी।
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अभय सिंह के अनुसार,
अघोरी साधना के दौरान उन्हें श्मशान में बैठकर साधना करनी पड़ी। इस दौरान उन्हें असामान्य अनुभव हुए, जैसे कि हड्डी खाने का। जब उनसे पूछा गया कि क्या यह मानव हड्डी थी, तो उन्होंने कहा, “मैंने भगवान का प्रसाद समझकर इसे खा लिया। मुझे नहीं पता था कि यह किसकी हड्डी है।”
साधना के अन्य पहलू
अघोर साधना के दौरान अभय सिंह को कई कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि उन्हें दारू पिलाई गई, कपड़े उतरवाकर लंगोट पहनाई गई, और शरीर पर भभूति लगाई गई। इस साधना का उद्देश्य उनके भीतर की आध्यात्मिक शक्ति को जागृत करना था। उन्होंने स्वीकार किया कि इन प्रक्रियाओं के दौरान उन्हें बिना किसी प्रश्न के हर कार्य करना पड़ा।
भविष्यवाणी और उनकी भूमिका
आईआईटी बाबा ने बताया कि अघोरी ने उनसे कहा था, “तू सरदार है।” यह भविष्यवाणी उनके भविष्य के बड़े कार्यों की ओर संकेत करती है। अघोरी ने उन्हें बताया कि वह इतिहास रचने वाले हैं और आगे चलकर बड़ी भूमिका निभाएंगे।
श्रद्धालुओं और मीडिया का आकर्षण
महाकुंभ 2025 में अभय सिंह की उपस्थिति ने न केवल श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है, बल्कि मीडिया में भी उन्हें लेकर चर्चा हो रही है। गुरुवार दोपहर को हुए एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने अपनी साधना के बारे में खुलकर बात की। उनकी अघोर साधना की कहानियां लोगों के बीच कौतूहल और श्रद्धा दोनों का कारण बनी हुई हैं।
आईआईटी बाबा अभय सिंह का जीवन और उनकी साधना एक रहस्यमयी और अद्वितीय आध्यात्मिक यात्रा को दर्शाता है। उनकी अघोर साधना के अनुभव न केवल अघोर पंथ की गहराई को समझने का अवसर देते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि साधना के मार्ग पर चलने वालों को कितनी कठोर परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है।
महाकुंभ 2025 में उनकी उपस्थिति इतिहास का हिस्सा बन रही है, जैसा कि उनके गुरु अघोरी चिंतायन बाबा ने भविष्यवाणी की थी।इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि अघोर साधना न केवल एक रहस्यमयी प्रक्रिया है, बल्कि यह साधक को उसकी आत्मा और जीवन के गहरे अर्थ से जोड़ती है। आईआईटी बाबा की यह कहानी आने वाले समय में और भी चर्चा का विषय बनेगी।