India News (इंडिया न्यूज), Facts of Ramayana: रावण केवल एक महाशक्तिशाली योद्धा और विद्वान नहीं था, बल्कि वह वेदों और शास्त्रों का ज्ञाता भी था। उसमें 32 गुण कार्यरत थे, जिनमें चार प्रमुख अवगुण थे – अहंकार, अधर्म, क्रोध और लोभ। यही अवगुण उसे धर्म के मार्ग से दूर ले गए। रावण के इन अवगुणों ने उसकी महानता को उसकी विनाशकता में बदल दिया।

हालांकि, रावण में सद्गुण भी अत्यधिक थे, जो उसे एक शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्तित्व बनाते थे। भगवान राम जानते थे कि जब तक रावण के सद्गुण नष्ट नहीं होंगे, तब तक उसकी मृत्यु संभव नहीं होगी।

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32 बाणों का उद्देश्य

भगवान राम ने रावण के साथ अंतिम युद्ध में पहले 32 बाण चलाए। हर बाण का उद्देश्य रावण के एक-एक गुण को नष्ट करना था।

  1. प्रथम बाण: रावण के अहंकार पर प्रहार किया।
  2. द्वितीय बाण: अधर्म की शक्ति को कमजोर किया।
  3. तृतीय बाण: उसके ज्ञान और शक्ति का संतुलन तोड़ा।
  4. अगले बाण: उसके अन्य गुणों को क्रमशः समाप्त करते गए।

जब रावण के सभी सद्गुण नष्ट हो गए और उसके भीतर केवल चार अवगुण ही शेष रहे, तो भगवान राम ने अंतिम बाण चलाने का निर्णय लिया। यह बाण केवल रावण के पाप और अधर्म को समाप्त करने के लिए बनाया गया था।

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मृत्यु बाण की कथा

भगवान राम द्वारा चलाए गए अंतिम बाण को “मृत्यु बाण” कहा गया। इस बाण की रचना स्वयं यमराज ने की थी। यमराज ने इसे इस प्रकार बनाया था कि यह केवल उस व्यक्ति को समाप्त कर सके, जो अपने जीवन में पूर्ण रूप से पापी और अधर्मी बन चुका हो।

राम ने जब यह देखा कि रावण के भीतर अब कोई भी सद्गुण शेष नहीं रहा, तब उन्होंने यमराज के बनाए इस मृत्यु बाण का प्रयोग किया। यह बाण सीधा रावण के नाभि में जाकर लगा और उसकी मृत्यु का कारण बना।

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रावण का अंत

रावण की मृत्यु केवल एक योद्धा का अंत नहीं थी, बल्कि यह धर्म की विजय और अधर्म की हार का प्रतीक थी। भगवान राम ने यह साबित किया कि किसी भी युद्ध में शक्ति का प्रयोग तब तक नहीं किया जाना चाहिए जब तक न्याय और धर्म के आधार पर निर्णय न हो।

यह कथा हमें यह सिखाती है कि किसी के गुणों का आदर करना और दोषों का निवारण करना ही सच्चे धर्म का पालन है। रावण के 32 गुण और 4 अवगुण इस बात का प्रमाण हैं कि सद्गुण भी अहंकार और अधर्म के प्रभाव में व्यर्थ हो सकते हैं।

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