India News (इंडिया न्यूज), Car Dashboard Par Bhagwan ki Murti: आज के समय में ज्यादातर लोग कार में भगवान की मूर्ति या कोई शुभ चिन्ह रखते हैं, ताकि उनका सफर सुरक्षित और मंगलमय रहे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के अनुसार कार के डैशबोर्ड पर भगवान की मूर्ति रखने के भी कुछ निश्चित नियम होते हैं? अगर इन नियमों का पालन किया जाए, तो वाहन न केवल सुरक्षित रहता है बल्कि उसमें यात्रा करने वालों को भी सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।
किन देवताओं की मूर्ति डैशबोर्ड पर रखनी चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार कार के डैशबोर्ड पर कुछ विशेष देवताओं की ही मूर्ति या तस्वीर रखना शुभ माना जाता है:
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भगवान हनुमान जी: संकटमोचन और रक्षक के रूप में हनुमान जी की छोटी मूर्ति यात्रा के दौरान सुरक्षा प्रदान करती है।
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भगवान गणेश जी: विघ्नों को दूर करने वाले भगवान गणपति की उपस्थिति यात्रा को निर्बाध बनाती है।
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भगवान शिव का शिवलिंग: सकारात्मक ऊर्जा और शांति के प्रतीक के रूप में शिवलिंग को भी रखा जा सकता है।
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भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी: समृद्धि और सौभाग्य के लिए इनकी मूर्ति शुभ मानी जाती है।
इन शुभ प्रतीकों को भी रख सकते हैं
अगर आप मूर्ति न रखना चाहें तो निम्नलिखित शुभ चिन्ह भी रख सकते हैं:
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ॐ का चिन्ह
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स्वास्तिक का प्रतीक
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हनुमान चालीसा या सुंदरकांड की छोटी पुस्तक – यात्रा के दौरान पढ़ने या साथ रखने मात्र से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
डैशबोर्ड पर मूर्ति रखने के जरूरी नियम
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मूर्ति का आकार छोटा हो: डैशबोर्ड पर हमेशा छोटी और सजीव मुद्रा वाली मूर्ति ही रखें। बहुत बड़ी या अत्यधिक सजी मूर्ति उचित नहीं मानी जाती।
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धूप-दीप न जलाएं: कार के अंदर आग का कोई स्रोत जैसे धूप या दीपक जलाना वर्जित है। यह सुरक्षा की दृष्टि से भी गलत है।
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साफ-सफाई और पवित्रता का ध्यान रखें: डैशबोर्ड पर रखी मूर्ति या चिन्ह पर नियमित रूप से धूल न जमने दें। उसे साफ और सम्मान के साथ रखें।
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मूर्ति टूटे या खंडित न हों: अगर किसी कारणवश मूर्ति टूट जाए, तो तुरंत उसे हटा दें और किसी पवित्र स्थान पर respectfully विसर्जन करें।
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मूर्ति को ड्राइविंग के दौरान बाधा न बनने दें: मूर्ति या चिन्ह ऐसी जगह रखें जहाँ से ड्राइवर का ध्यान भंग न हो और व्यू भी बाधित न हो।
कार के डैशबोर्ड पर भगवान की मूर्ति रखना न केवल हमारी आस्था से जुड़ा होता है बल्कि यह मानसिक शांति और सुरक्षा की भावना भी प्रदान करता है। लेकिन मूर्ति रखने से पहले वास्तु और ज्योतिष शास्त्र के इन नियमों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि व्यवहारिक और सुरक्षा की दृष्टि से भी आवश्यक है।
सदैव याद रखें – आस्था और श्रद्धा के साथ जब नियमों का संतुलन होता है, तभी उसका प्रभाव भी शुभ होता है।