India News (इंडिया न्यूज), Jambudweep Puranas: पुराणों के अनुसार, जंबूद्वीप प्राचीन हिंदू ब्रह्मांडीय दृष्टिकोण में सात द्वीपों (द्वीप-खंडों) में सबसे महत्वपूर्ण और केंद्रीय है। यह एक अद्भुत और दिव्य स्थान है, जो अपनी अलौकिक सुंदरता और महत्व के लिए प्रसिद्ध है। आइए इसे एक कहानी के रूप में समझते हैं।
जंबूद्वीप की रचना और आकार
बहुत समय पहले, जब ब्रह्मांड की रचना हुई, तब भगवान ब्रह्मा ने इसे कमल के फूल के आकार का बनाया। जंबूद्वीप ब्रह्मांड के केंद्र में स्थित है और इसे चारों ओर से खारे पानी के समुद्र ने घेरा हुआ है। इसका नाम ‘जंबूद्वीप’ इसलिए पड़ा क्योंकि यहां जामुन के पेड़ — जिन्हें संस्कृत में ‘जंबु’ कहा जाता है — बड़ी मात्रा में पाए जाते थे। इन पेड़ों के फलों से मीठा रस निकलता था, जो यहां के निवासियों के लिए अमृत के समान था।
भरतवर्ष: मानवों का निवास स्थान
जंबूद्वीप के नौ खंड (वर्ष) थे, और इन सबमें भरतवर्ष सबसे प्रमुख था। भरतवर्ष वह स्थान है जहां मानव जाति रहती है। आज का भारत और उसके पड़ोसी क्षेत्र इसी भरतवर्ष का हिस्सा माने जाते हैं। यह भूमि न केवल प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर थी, बल्कि यहां ऋषि-मुनियों ने तपस्या करके ब्रह्मज्ञान प्राप्त किया। यही वह स्थान है जहां भगवान राम, श्रीकृष्ण और अन्य अवतारों ने जन्म लिया।
जंबूद्वीप का केंद्र: मेरु पर्वत
जंबूद्वीप के ठीक बीचों-बीच स्थित है मेरु पर्वत। इसे सृष्टि का आध्यात्मिक केंद्र और ब्रह्मांड की धुरी माना गया है। मेरु पर्वत सोने का बना हुआ है और इसकी चमक इतनी तेज है कि सूर्य और चंद्रमा की रोशनी भी इसके सामने फीकी पड़ जाती है। यह पर्वत देवताओं और सिद्ध पुरुषों का निवास स्थान है।
नौ खंडों का विवरण
जंबूद्वीप को नौ खंडों में बांटा गया है, जिन्हें ‘वर्ष’ कहा जाता है। इनका वर्णन कुछ इस प्रकार है:
- भरतवर्ष: जहां मानव रहते हैं।
- इलावृतवर्ष: मेरु पर्वत के चारों ओर फैला हुआ क्षेत्र।
- हरिवर्ष: भगवान विष्णु के भक्तों का निवास स्थान।
- किंपुरुषवर्ष: जहां हनुमान जी जैसे भक्त रहते हैं।
- रम्यकवर्ष: भगवान के ध्यान और साधना का स्थान।
- हेमकूटवर्ष: सोने की पर्वत श्रृंखलाओं से युक्त।
- उत्तरकुरु: जहां केवल सुख और आनंद ही है।
- गंधमादनवर्ष: सुगंधित पुष्पों और वनों से भरा।
- भद्राश्ववर्ष: जहां दिव्य अश्व (घोड़े) पाए जाते हैं।
जंबूद्वीप का महत्व
जंबूद्वीप केवल भौगोलिक या पौराणिक स्थान नहीं है, यह आध्यात्मिकता, ज्ञान और संस्कृति का प्रतीक है। यहां के हर हिस्से में कोई न कोई दिव्यता छिपी हुई है। इस तरह, जंबूद्वीप न केवल हिंदू पुराणों में वर्णित एक अद्भुत स्थान है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का हिस्सा भी है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि प्रकृति, मानवता और दिव्यता का सम्मान करना कितना आवश्यक है।