India News (इंडिया न्यूज), Kaalsarp Dosh: भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु और केतु ग्रह के बीच अन्य ग्रहों के स्थित होने से “कालसर्प दोष” का निर्माण होता है। इस दोष को व्यक्ति के जीवन में कई समस्याओं का कारण माना जाता है, जैसे कि मानसिक तनाव, आर्थिक तंगी, और पारिवारिक कलह। हालांकि, ज्योतिष के अनुसार, कुछ उपायों के माध्यम से कालसर्प दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
कालसर्प दोष के लक्षण
- बार-बार असफलता का सामना करना।
- मानसिक शांति की कमी।
- आर्थिक परेशानियां।
- पारिवारिक और सामाजिक जीवन में समस्याएं।
- कार्यों में अनचाही बाधाएं।
कालसर्प दोष के निवारण के उपाय
- पक्षियों को जौ के दाने खिलाना
सवेरे उठते ही एक महीने तक पक्षियों को जौ के दाने खिलाना शुभ माना गया है। इससे राहु और केतु के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है। यह उपाय सरल और प्रभावी है। - शिवलिंग पर जल अर्पित करना
प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर जल अर्पित करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है। यह कालसर्प दोष को शांत करने में सहायक होता है। - चांदी का नाग दान करना
सोमवार के दिन शिव मंदिर में चांदी का नाग दान करें। यह उपाय राहु और केतु के दोष को कम करने का प्रभावी माध्यम है। - सूखा नारियल पानी में प्रवाहित करना
किसी पवित्र नदी या बहते पानी में सूखा नारियल प्रवाहित करना कालसर्प दोष से मुक्ति का एक और उपाय है। यह उपाय विशेष रूप से अमावस्या या पूर्णिमा के दिन करना लाभकारी माना जाता है। - मंत्र जाप और पूजा-पाठ
“ळोम् नागाय नमोः” मंत्र का जाप करें। इसके साथ ही, कालसर्प दोष निवारण के लिए विशेष पूजा जैसे कालसर्प दोष पूजा और नाग पंचमी पूजा कराना भी फायदेमंद होता है।
मेष से कन्या तक इन 6 राशियों की किस्मत आज देगी साथ, वृश्चिक रहें सतर्क! पढ़ें आज का राशिफल
ज्योतिषीय सलाह का महत्व
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हर किसी की कुंडली अलग होती है। इसलिए, उपाय करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श अवश्य करें। ज्योतिषी आपकी कुंडली का विश्लेषण करके सही उपाय सुझा सकते हैं।
कालसर्प दोष भारतीय ज्योतिष में महत्वपूर्ण माना गया है और इसके प्रभाव को कम करने के लिए अनेक उपाय बताए गए हैं। पक्षियों को दाना खिलाने, शिवलिंग पर जल अर्पित करने, और चांदी का नाग दान करने जैसे सरल उपायों से आप इस दोष से मुक्ति पा सकते हैं। हालांकि, यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और इसे अपनाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक है।