India News (इंडिया न्यूज़), Kaliyuga End Prediction: जब भी कलियुग के अंत की बात होती है तो प्राचीन ग्रंथों और पुराणों का जिक्र आना स्वाभाविक है। इन्हीं में से एक है ‘भविष्य मालिका पुराण’, जिसमें ऐसी कई भविष्यवाणियां दर्ज हैं। बता दें कि इस पुराण में दर्ज भविष्यवाणियां समय के साथ सच साबित हुई हैं। खास तौर पर जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी घटनाओं और संकेतों को लेकर यह ग्रंथ चर्चा का विषय बन गया है। हाल के वर्षों में मंदिर परिसर में घटी कई घटनाओं को दुनिया के महाविनाश के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
जी हां, भविष्यमिका में लिखा है कि जब कलयुग अपने चरम पर होगा, तब कई असाधारण घटनाएं घटेंगी, जो महाविनाश की ओर इशारा करेंगी। भगवान जगन्नाथ के मंदिर में घटी कुछ अप्रत्याशित घटनाओं को इन भविष्यवाणियों से जोड़ा गया है। तो यहां जान लें कि कलयुग के अंत के संकेत कब-कब मिले हैं।
त्रिदेव के कपड़ों में आग लग जाना
भविष्य मालिका पुराण के अनुसार, जब जगन्नाथ मंदिर के त्रिदेवों के वस्त्र में आग लग जाए तो यह कलियुग के अंत का संकेत होगा। दरअसल, यह घटना कुछ साल पहले हुई थी। त्रिदेवों के वस्त्र में अचानक आग लगने के बाद चर्चा जोर पकड़ने लगी कि यह दुनिया के विनाश की शुरुआत हो सकती है।
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ध्वज में आग लगने की घटना
9 मार्च 2020 को पापनाशक एकादशी के दिन जगन्नाथ मंदिर के ध्वज में आग लग गई थी। यह घटना तब हुई जब हवा में उड़ता ध्वज जलते हुए दीपक के संपर्क में आ गया था। भविष्य मालिका पुराण में पहले से ही ध्वज में आग लगने की घटना का उल्लेख मिलता है। इस घटना के बाद लोगों ने इसे महाविनाश का संकेत मान लिया है।
गुंबद पर बैठे गिद्ध और चील
जगन्नाथ मंदिर के गुंबद पर पक्षियों का बैठना दुर्लभ माना जाता है। लेकिन जुलाई 2020 से गिद्ध, चील और बाज जैसे पक्षी गुंबद और नीलचक्र पर बैठे देखे गए हैं। यह घटना भी भविष्यवाणी के अनुसार कलियुग के चरम और महाविनाश की निकटता की ओर इशारा करती है।
नीलचक्र का नीचे की ओर झुक जाना
भविष्य माला में लिखा है कि जब मंदिर का नीलचक्र झुकता है तो यह अंत की ओर बढ़ने का संकेत है। साल 2019 के फानी तूफान के दौरान नीलचक्र टेढ़ा हो गया था। इसे ठीक करने का प्रयास किया गया, लेकिन यह अपने मूल स्वरूप में वापस नहीं आ सका। नीलचक्र का झुकना भी कलियुग के अंत का संकेत है।
गुंबद से गिरते हुए पत्थर
भविष्य मालिका पुराण में बताया गया है कि जब मंदिर के गुंबद से पत्थर गिरने लगेंगे तो यह महाविनाश का बड़ा संकेत होगा। 1842 से अब तक ऐसी घटनाएं 15 से अधिक बार हो चुकी हैं। इन सभी घटनाओं को कलयुग के चरम और संभावित महाविनाश के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
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